देश के बाकी राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले 24 घंटों में राज्य में 3639 कोरोना संक्रमित मिले हैं. सरकार रोज आंकड़े दे रही है, लेकिन इसमें कोरोना की खुद से टेस्टिंग किट से संक्रमित लोगों का आंकड़ा नहीं है, जबकि हर रोज भोपाल में कई दुकानों से ये किट खरीदी जा रही है. कई ई कॉमर्स साइट पर भी किट उपलब्ध है. सरकार से सवाल पूछने पर वो सिर्फ इतना कह रही है कि लोगों को संक्रमित होने की जानकारी देनी चाहिये.
दरअसल, मध्यप्रदेश में पिछले 11 दिनों में संक्रमण 1800 की दर से बढ़ा है. कई लोग टेस्ट करवाने अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन कई ऐसे हैं जो घर पर खुद ही कोविड टेस्ट कर रहे हैं. सरकार के पास न ऐसे संक्रमितों की कोई जानकारी है, न ही उसे कोविड बुलेटिन में जोड़ा जा रहा है. कई लोग कोविड होम टेस्ट किट सीधे दवा दुकानों से 250 से 350 रुपए में खरीद कर टेस्टिंग कर रहे हैं. आलम ये है कि कई दवा दुकानों में किट खत्म हो गई है.
भोपाल में हमीदिया रोड में दवा की दुकान चलाने वाले अनुकूल गुप्ता कहते हैं कि जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ रहा है, टेस्टिंग किट की मांग आ रही है. आनेवाले वक्त में स्टॉक बढ़ाना पड़ेगा. स्टॉक दवा बाजा़र में भी कभी मिल रहा है, कभी शॉर्ट हो जा रहा है. वहीं जवाहर चौक पर रहने वाले केमिस्ट मो. सूफियान ने बताया कि रोज कई लोग किट लेने आ रहे हैं. इस किट का फायदा ये है कि घर बैठे-बैठे पता लग जाता है और इससे घरवाले बीमारी के फैलने से बचेंगे.
लेकिन दिक्कत ये है कि ना तो दवा दुकानें ऐसे खरीदारों का रिकॉर्ड रख रही हैं और ना ही सरकार. ऐसे में संक्रमित अगर आइसोलेशन के बजाय बाहर घूमते रहे तो प्रदेश में संक्रमण खतरनाक स्तर पर जा सकता है. सरकार संक्रमितों से गुजारिश कर रही है, वहीं कांग्रेस की मांग है कि सरकार इसकी नीति बनाए.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हमने होम आइसोलेशन को लेकर गाइडलाइन बनाई है, जो पॉजिटिव आते हैं, उनसे अनुरोध है कि जानकारी प्रशासन को दें. हमने कमांड-कंट्रोल सेंटर बनाए हैं, जिसके माध्यम से हम होम आइसोलेशन की पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
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वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलेश्वर पटेल ने कहा कि ये अच्छी बात है कि मार्केट में किट है, लेकिन क्या रिपोर्ट आई है इसकी जानकारी सरकार के पास होनी चाहिये. सरकार को नीति बनाना चाहिये. लेकिन सरकार कोरोना को लेकर सेंसटिव नहीं है, इवेंट कराती जा रही है.
3 महीने से बिना सैलरी काम कर रही 60 नर्स
कोरोना को लेकर सरकारी लापरवाही से जुड़ा एक अलग मामला छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज का है. जहां 60 से ज्यादा नर्स 3 महीने से अधिक वक्त से बगैर तनख्वाह महामारी से लड़ रही हैं. अस्पताल में तैनात नर्स भारती घोरे ने कहा, 'हम लोगों को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है. घरवाले आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं. संक्रमण में बगैर सैलरी काम कर रहे हैं, मेडिकल के सारे स्टाफ हैं.' वहीं अस्पताल के डीन डॉ जीबी रामटेके ने कहा, 'मेरी बात हो चुकी है. नये कॉलेज में थोड़ी दिक्कत है सैलरी की, जैसे ही आ जाएगी तो हम बांट देंगे.'