नई दिल्ली: हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट के आदेश के बाद सांप्रदायिक तनाव झेल परे नूंह में बुल्डोजर एक्शन बंद है. लेकिन उससे पहले हरियाणा प्रशासन ने नूंह जिले की 1208 बिल्डिंगों को जमींदोज कर दिया. ज्यादातर बुल्डोजर एक्शन एक खास समुदाय के लोगों के घरों पर हुई है. बुल्डोजर गरीबी रेखा से नीचे रह रहे उन परिवारों के घर पर भी चला, जिन्हें सरकारी योजना के तहत घर मिला था.
नूंह के नगीना में हिंसा के बाद करीब एक दर्जन गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के घरों को गिरा दिए गए हैं.
प्रशासन ने तेजी में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों के लिए इंदिरा आवास योजना व प्रियदर्शनी आवास योजना के अंतर्गत 2012-13 में बनाए गए दो मकान भी तोड़ दिए. अब इन परिवारों के बच्चे खुले आसमान के नीचे जीवन जीने के लिए मजबूर हैं.
पीड़ित इसरायिल ने बताया कि मेरा घर सरपंच ने बनवाया था. हमलोग गरीब हैं. मजदूरी करके अपना काम चलाते हैं. मेरे पास कहीं जाने के लिए जगह नहीं है. मैं यहीं रहना चाहता हूं. पहले भी घर सरकार ने बनाया था. अब भी सरकार बना कर दें. इन घरों की दीवारों के ऊपर साफ लिखा है कि ये घर हरियाणा सरकार की प्रियादर्शी योजना के तहत बनाए गए हैं.
पीड़ित समरूद्दीन ने बताया कि मेरे परिवार के 5 मकान तोड़े गए हैं. हमलोग काम पर गए थे. घर लौटा तो बुल्डोज़र चल रहा था. मेरा तो दिल बैठ गया है. हम कहां जाएंगे, 1980 से हम यहीं रह रहे हैं. हालांकि, जिला प्रशासन का कहना है सिर्फ अवैध कब्जे वाले मकान पर ही बुलडोजर चले हैं.
वहीं, दूसरी तरफ़ हरियाणा की पंचायतें एक खास समुदाय के व्यापारियों के बॉयकॉट के फर्मान पर यू टर्न लेने लगी हैं. प्रशासन ने फरमान को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताया था. दोनों पंचायतों ने वीडियो जारी कर फरमान को वापस लेने की बात कही है. कबलाना गांव के सरपंच ने कहा कि हम सर्वधर्म का सम्मान करते हैं. हम अपना जारी किया बॉयकॉट वापस लेते हैं. यहां कोई भी आकर व्यापार कर सकता है.
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