नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि नागर शैली के तहत इन मूर्तियों को बनाया गया है.
अयोध्या का राम मंदिर कई मायनों में अद्भुत है. इस मंदिर में अपनाई गई स्थापत्य कला से लेकर इसकी भव्यता तक सब कुछ इसे सबसे अलग बनाता है. राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और आज राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई है. इसे लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा से एनडीटीवी ने खास बातचीत की. इस दौरान मिश्रा ने मंदिर की स्थापत्य कला से इसके निर्माण और उसके बाद आ रही चुनौतियों पर भी बात की है.
नृपेंद्र मिश्रा ने एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि मंदिर में 397 पिलर्स ऐसे हैं, जिन पर आकृतियां उकेरी गई हैं. इन पिलर्स में हर एक पिलर पर 25 से 30 मूर्तियां हैं. नागर शैली के तहत इन मूर्तियों को बनाया गया है. इसमें तय होता है कि किस पिलर में किस दिश में किस तरह की मूर्तियां होंगी.
मेंटिनेंस के लिए चुनौती: मिश्रा
उन्होंने कहा कि इन मूर्तियों के रंग में बदलाव आ रहा है. लोग इन मूर्तियों को लोग छूते हैं, हाथ लगाते हैं और प्रणाम करते हैं. यह बड़ी चुनौती हमारे सामने आई है. कुछ लोग तो टीका भी लगाते हैं. उनकी श्रद्धा को हम नहीं रोक सकते हैं, लेकिन हमारे मेंटिनेंस के लिए अच्छी-खासी चुनौती आ गई है.
मूर्तियों के रंग पर ये दिया जवाब
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मूर्तियों के रंग की बहुत ही चर्चा थी कि मूर्तियों का रंग कैसा हो. लोगों ने कहा कि रामलला तो श्यामवर्ण हैं और उनकी मूर्तियों का रंग ऐसा ही क्यों न हो. रामलला की मूर्ति के लिए पत्थर कर्नाटक की कृष्ण शिला से आया था. हालांकि यह राय बनी कि हम रंग नहीं बल्कि यह देखें कि उनका जो स्वरूप है, वो किस प्रकार श्रद्धालु को स्वीकार है. श्रद्धालु को ध्यान में रखकर के यह निर्णय लिया गया कि सभी मूर्तियां मकराना मार्बल की होंगी. लेकिन इन मंदिरों का डिजाइन उसी प्रकार का होगा, जिस प्रकार का राम मंदिर का है.
पांच मंडपों पर स्वर्ण शिखर
मिश्रा ने बताया कि मंदिर के पांच मंडप हैं और इन पांच मंडपों पर पांच स्वर्ण शिखर बने हुए हैं. यह पूरे हो गए हैं. सबसे ऊंचाई पर 161 फीट पर स्वर्ण शिखर है, उसके नीचे मुख्य मंदिर का गर्भग्रह जहां पर रामलला हैं और अब प्रथम तल पर राम दरबार है. साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर में कुछ मशीनों द्वारा कार्य किया जा रहा है, लेकिन यह केमिकल से सफाई के लिए है. अब मंदिर का कोई भी निर्माण कार्य अधूरा नहीं है.