राम मंदिर में आखिर कैसे फहराया गया धर्म ध्वज... NDTV से नृपेंद्र मिश्रा ने बताई पूरी प्रक्रिया

इस खास इंटरव्यू के दौरान नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि इस ध्वज को फहराने के लिए पहले लीवर को दबाया गया. ये पूरी प्रक्रिया मैकेनिकल होने के साथ-साथ मैनुअल भी है.

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धर्म ध्वजा के फहराए जाने के बाद NDTV ने राम मंदिर का कराया दर्शन
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  • अयोध्या के राम मंदिर में मंगलवार को धर्म ध्वजा फहराने की प्रक्रिया पूरी की गई और पीएम मोदी उपस्थित थे
  • धर्म ध्वजा को फहराने के लिए मैनुअल रस्सी और इलेक्ट्रिकल कंट्रोल से संचालित मैकेनिकल लीवर का उपयोग किया गया
  • धर्म ध्वजा लगभग 22 फीट लंबी और 11 फीट चौड़ी है, जिस पर कोविदार वृक्ष, सूर्यवंश और ॐ अंकित है
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अयोध्या:

अयोध्या राम मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्म ध्वजा लहरा रही है. मंगलवार को विवाह पंचमी पर अभिजित मुहूर्त की शुभ घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मिलकर इसे लहराया. धर्म ध्वजा ने जहां राम भक्तों का ध्यान खींचा, वहीं दूसरी तरफ इसे फहराने के तरीके ने भी लोगों में उत्सुकता जगाई. धर्म ध्वजा फहराए जाने के बाद बुधवार को NDTV ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा से खास बातचीत की. उन्होंने केसरिया ध्वज को फहराने जाने में इस्तेमाल की गई तकनीक के बारे में पहली बार विस्तार से बताया. 

इस खास इंटरव्यू के दौरान नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि इस ध्वज को फहराने के लिए पहले लीवर को दबाया गया. ये पूरी प्रक्रिया मैकेनिकल होने के साथ-साथ मैनुअल भी है. मैनुअल इसलिए क्योंकि रस्सी तो मैनुअल ही है. और मैकेनिकल इसलिए क्योंकि रस्सी को पुल करना था.उस मैकेनिकल को बटन से दबाकर इलेक्ट्रिकल कंट्रोल था.जिससे कि हम ध्वजा रोहण को ऊपर ले गए. 

पीएम मोदी और संघ प्रमुख भागवत ने कुछ यूं लीवर घुमाकर लहराई धर्म ध्वजा.

आपको बता दें कि मंगलवार को एक भव्य कार्यक्रम के बाद राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहरा दी गई. इस खास मौक पर पीएम मोदी भी अयोध्या में मौजूद थे. पीएम मोदी ने इस मौके पर भगवान श्रीराम को नमन किया.इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि मुझे बहुत खुशी है कि राम मंदिर का ये दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की भी चेतना स्थली बन रहा है.यहां सप्त मंदिर बने हैं.माता शबरी का मंदिर जनजातीय समाज के प्रेमभाव और आतिथ्य की प्रतिमूर्ति है.निषादराज का मंदिर उस मित्रता का साक्षी है, जो साधन नहीं, साध्य को और उसकी भावना को पूजती है.

भाव विह्वल पीएम मोदी ने धर्म ध्वजा को किया प्रणाम.

आगे कहा था कि यहां माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास के मंदिर हैं. रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं. यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं, जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं. ये ध्वज अपने आपमें खास है. ध्वज लगभग 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है, जिस पर कोविदार वृक्ष, सूर्यवंश का प्रतीक और ‘ॐ' अंकित है. इसे इलेक्ट्रिक सिस्टम से आरोहित किया गया. यह आयोजन मंदिर निर्माण की पूर्णता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक माना जा रहा है.

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