दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे. शीर्ष अदालत के इस फैसले पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीजेआई का शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों के साथ आज सुप्रीम कोर्ट ने न्याय किया.
वहीं, इस फैसले पर आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा से NDTV से बात करते हुए कहा, "अदालत के इस फैसले के बाद अब हम आराम से सांस ले सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी पिछले आठ साल से लगातार एक गैर निर्वाचित शख्स उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली के प्रशासनिक व्यवस्था को तार-तार करने में लगी थी. और सरकार को अस्थिर करने का कोई भी प्रयास नहीं छोड़ा."
आखिरकार न्याय हुआ-चड्ढा
राघव चड्ढा ने कहा, "2015 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनी थी. सरकार बनने के महज दो महीने के बाद ही एक नोटिफिकेशन के जरिए दिल्ली सरकार की सारी शक्तियां छीन ली गई थीं. ये सारी शक्तियां उपराज्यपाल को सौंप दी गई थीं. इसके बाद हम 8 साल तक लड़ते रहे और संघर्ष करते रहे. आज आखिरकार न्याय हुआ. इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करते हैं."
केजरीवाल ने कहा- कर्म का फल भुगतना होगा
वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया है. केजरीवाल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों के साथ आज सुप्रीम कोर्ट ने न्याय किया. केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को राज्यों का पिता बताया. उन्होंने कहा कि एलजी से निवेदन करेंगे कि काम में टांग ना अड़ाएं. उन्होंने ऐलान किया कि नाकाबिल और भ्रष्टाचारी अफसरों को हटाएंगे, ईमानदारों को ऊंचे पदों पर बैठाएंगे. जनता का काम रोकने वालों को कर्म का फल भुगतना होगा.
कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
अदालत ने फैसला दिया कि पुलिस, कानून-व्यवस्था और प्रॉपर्टी को छोड़कर दिल्ली में प्रशासन पर नियंत्रण चुनी हुई सरकार का होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि चुनी हुई सरकार के पास अफसरों पर नियंत्रण की ताकत ना हो, अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दें या फिर उनके निर्देशों का पालन ना करें तो जवाबदेही के नियम के मायने नहीं रह जाएंगे. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य के मामलों में केंद्र का इतना दखल ना हो कि नियंत्रण उसी के हाथ में चला जाए. दिल्ली का किरदार अनूठा है, वह दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों जैसी नहीं है। दिल्ली भले ही पूर्ण राज्य ना हो, लेकिन इसके पास कानून बनाने के अधिकार हैं.
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