"अब इस मंजूरी का कोई मतलब नहीं", सरकारी स्कूल टीचर को फ़िनलैंड भेजने के LG के फैसले पर AAP

AAP नेता आतिशी ने कहा कि मैं ऐसा इसलिए भी कह रही हूं क्योंकि एलजी साहब के पास उस कार्यक्रम को बदलने की ना तो योग्यता है और ना ही अधिकार.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने की अनुमति देने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने प्रतिक्रिया दी है.  AAP ने एलजी के इस फैसले को लेकर कहा कि अब इस मंजूरी का कोई मतलब नहीं है. AAP नेता आतिशी ने कहा कि जिस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए टीचर्स को फिनलैंड जाना था उसका पहला हिस्सा दिसंबर और दूसरा मार्च के पहले हफ्ते में था. LG साहब फिनलैंड की फाइल लेकर 4 महीने तक बैठे रहे. बार-बार बेकार के सवाल उठाते रहे बेकार की आपत्ति दर्ज कराते रहे. उन्होंने इस फाइल को लेकर अपनी अनुमति देने में इतना समय लगा दिया कि अब इसका कोई मतलब नहीं निकलता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि अब दिल्ली सरकार के वो टीचर फिनलैंड जा नहीं सकते.  

आतिशी ने आगे कहा कि मैं ऐसा इसलिए भी कह रही हूं क्योंकि एलजी साहब के पास उस कार्यक्रम को बदलने की ना तो योग्यता है और ना ही अधिकार. उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ बहुत ही साफ शब्दों में कहती है कि transferred सब्जेक्ट पर उपराज्यपाल के पास उससे निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है. उपराज्यपाल के पास दो ही अधिकार हैं कि या तो वह किसी फाइल को हां कहकर दस्तखत कर दें और अगर सहमत नहीं है तो ना कहकर राष्ट्रपति के पास भेज दें.

SCERT को राइट टू एजुकेशन एक्ट यह पावर देता है कि टीचर की ट्रेनिंग कैसी होगी. आज एलजी साहब की योग्यता एजुकेशनिस्ट से ज्यादा हो गई है. अब वो तय करेंगे कि किस प्रकार की ट्रेनिंग होनी चाहिए और किस प्रकार की ट्रेनिंग नहीं होनी चाहिए?

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बता दें कि शनिवार को दिल्ली के उपराज्यपाल ने सरकारी स्कूल के टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने के प्रस्ताव को बहुत लंबा समय लेने के बाद मंजूरी दी थी. लेकिन केजरीवाल सरकार ने 52 प्राइमरी इंचार्ज टीचर्स के नाम भेजे थे.जिस पर उपराज्यपाल ने लिखा कि शिक्षा विभाग में 29 zone हैं . हर जोन को समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए इसलिए हर जोन से 3 प्राइमरी इंचार्ज फिनलैंड ट्रेनिंग के लिए भेजे जाएं.

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