"विपक्ष विहीन संसद में अब बिना चर्चा कानून पारित कर सकती है मोदी सरकार": सांसदों के निलंबन पर खरगे

कांग्रेस के सात सदस्यों- अधीर रंजन चौधरी, एंटो एंटोनी, के मुरलीधरन, के सुरेश, अमर सिंह, राजा मोहन उन्नीथन और गौरव गोगोई को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया है.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे.
नई दिल्ली:

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही बाधित करने और आसन की अवमानना को लेकर सोमवार को विपक्षी दलों के 30 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए तथा तीन सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया. संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर हंगामे के दौरान इस कार्रवाई के बाद विपक्ष सरकार पर और हमलावर हो गया है. कांग्रेस ने कहा कि वो सदन के बाहर भी विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा से विपक्षी दलों के 33 और सदस्यों को निलंबित किए जाने के बाद सोमवार को सरकार पर लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में डालने का आरोप लगाया और दावा किया कि अब सरकार विपक्ष विहीन संसद में बिना किसी चर्चा के महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवा सकती है.

मल्लिकार्जुन खरगे ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "सबसे पहले कुछ लोगों ने संसद पर हमला किया. फिर मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है. निरंकुश मोदी सरकार द्वारा 47 सांसदों को निलंबित करके सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में डाला जा रहा है. हमारी दो सरल और वास्तविक मांगें हैं - केंद्रीय गृह मंत्री को संसद की सुरक्षा में अक्षम्य चूक पर संसद के दोनों सदनों में बयान देना चाहिए और इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए."

खरगे ने कहा, "प्रधानमंत्री किसी अखबार को साक्षात्कार दे सकते हैं, गृह मंत्री टीवी चैनलों को साक्षात्कार दे सकते हैं. लेकिन उनकी उस संसद के प्रति कोई जवाबदेही नहीं बची है, जो भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है. विपक्ष विहीन संसद के साथ मोदी सरकार अब बिना किसी चर्चा के महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को पारित कर सकती है, विरोध की आवाज कुचल सकती है."

वहीं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के निलंबित उप नेता गौरव गोगोई ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार विपक्ष पर बुलडोजर चला रही है जिससे कि अमित शाह हमारे सवालों से बच सकें. हम संसद के बाहर भी अपना विरोध जारी रखेंगे.

लोकसभा में तख्तियां लेकर हंगामा करने के कारण कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी समेत कुल 33 सदस्यों को सोमवार को सदन से निलंबित कर दिया गया. कुछ दिन पहले ही लोकसभा के 13 सदस्यों और राज्यसभा के एक सदस्य का निलंबन हुआ था.

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पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने आसन की अवमानना को लेकर एवं कार्यवाही बाधित करने के लिए तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नौ-नौ, कांग्रेस के सात, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के दो तथा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, वीरुथलई चिरुथैगल काची (वीसीके) और जनता दल (यूनाइटेड) के एक-एक सदस्य का नाम लिया.

आसन द्वारा सदस्यों का नाम (नेम करना) लिया जाता है तो इसे उन सदस्यों को निलंबित करने की प्रक्रिया की शुरुआत माना जाता है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उक्त सभी सदस्यों को नियम 374 (दो) के तहत संसद के शेष सत्र के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदस्यों ने ध्वनि मत से पारित कर दिया.

कांग्रेस के सात सदस्यों- अधीर रंजन चौधरी, एंटो एंटोनी, के मुरलीधरन, के सुरेश, अमर सिंह, राजा मोहन उन्नीथन और गौरव गोगोई को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया है.

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टीएमसी के निलंबित सदस्यों में कल्याण बनर्जी, अपरुपा पोद्दार, प्रसून्न बनर्जी, सौगत राय, शताब्दी राय, असित कुमार मंडल, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष दस्तीदार और सुनील कुमार मंडल शामिल हैं. द्रमुक के जिन नौ सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें टी आर बालू, ए. राजा, दयानिधि मारन, जी सेल्वम, सीएन अन्नादुरई, डॉ टी सुमति, के वीरासामी, एस एस पल्ली मणिक्कम और रामलिंगम शामिल हैं.

लोकसभा ने आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर और के नवासिकानी को निलंबित किया है, जबकि आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, जदयू के कौशलेन्द्र कुमार और वीसीके तिरुवक्कससर भी निलंबित सदस्यों में शामिल हैं.

जोशी के प्रस्ताव पर सदन ने कांगेस के तीन अन्य सांसदों के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किया.

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संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर आसन की अवमानना को लेकर और कार्यवाही बाधित करने के लिए गत 14 दिसम्बर को 13 सदस्यों को संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था.

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