स्पेशल मैरिजेस एक्ट (Special Marriage Act) में अब फौरन शादी हो सकेगी. अब शादी के लिए एक महीने इंतज़ार नहीं करना होगा. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में एक महीने तक शादी करने वालों की फोटो नोटिस बोर्ड पर लगाने की पाबंदी खत्म कर दी है. अदालत ने ये आदेश एक हैबिस कार्प्स एक्ट (Habeas Corpus Act) के तहत सुनवाई करते हुए दिया. इस मामले में सफ़िया सुल्ताना नाम की एक मुस्लिम लड़की ने हिन्दू बनकर अपने दोस्त अभिषेक से शादी कर ली थी, लेकिन सफ़िया के पिता उसे उसके पति के साथ जाने से रोक रहे थे.
इस मामले को हल करने के बाद अदालत ने सफ़िया और अभिषेक से जानना चाहा कि उन्होंने स्पेशल मैरिजेस एक्ट में शादी क्यों नहीं कर ली जिसमें नाम या धर्म बदलने की ज़रूरत नहीं होती. इस पर उन्होंने बताया कि स्पेशल मैरिजेस एक्ट में शादी के लिए अर्जी देने पर एक महीने तक लड़के और लड़की की फोटो एक नोटिस के साथ मैरिज अफसर के दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर लगा दी जाती है. नोटिस में लड़के, लड़की का पूरे पते का प्रचार किया जाता है और यह लिखा होता है कि अगर इनकी शादी से किसी को ऐतराज़ हो तो वह एक महीने के अंदर मैरिज अफसर से संपर्क करे.
उनका कहना था कि यह दो तरह से उनके लिए सही नहीं था. एक तो यह उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है, दूसरा ऐसा करने से परिवार वाले या दूसरे लोग जो अंतर्धार्मिक शादियों के विरोधी हैं, इसमें अड़ंगा लगाने लगते हैं.
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इस पर अदालत ने आदेश दिया कि स्पेशल मैरिजेस एक्ट में शादी करने वालों की तस्वीर और नोटिस तभी लगाई जाएगी जब वे खुद ऐसा चाहते हों. वर्ना शादी के लिए उनकी अर्ज़ी देते ही उन्हें शादी का सर्टिफिकेट दे दिया जाए. अदालत ने कहा कि इस तरह नोटिस बोर्ड पर शादी करने वालों की फ़ोटो और पते का प्रचार करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है.