इतिहास बना नोएडा का ट्विन टावर्स, अधिकारियों के लिए अब ये है अगली चुनौती

9 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद ट्विन टावरों को गिरा दिया गया. पिछले अगस्त में कोर्ट ने टावरों को गिराने के लिए तीन महीने का समय दिया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते इसमें एक साल का समय लग गया.

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नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर्स को 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगाकर गिरा दिया गया.
नोएडा:

उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर्स को रविवार को ध्वस्त कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अवैध रूप से बने इस बिल्डिंग को गिरा दिया गया. लगभग 100 मीटर ऊंचा ये टावर 9 सेकंड के भीतर ताश के पत्तों की तरह ढह गया. इसको गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. धमाका कर गिराए जाने के साथ ही अधिकारियों के लिए अब अगली चुनौती जमा हुए मलबे के पहाड़ को साफ करना है.

इस ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों ने पहले कहा था कि लगभग 55,000 टन मलबा जमा होगा. मलबे में स्टील और लोहे की छड़ें भी शामिल हैं. मलबा हटाने में तीन महीने का समय लग सकता है. कचरे को निर्धारित स्थानों पर डंप किया जाएगा. एक अधिकारी ने कहा कि धूल को कम करने के लिए साइट पर पानी के छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन पहले ही लाए जा चुके हैं.

नोएडा के अधिकारी आज आसपास की सोसाइटियों को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए सुरक्षा ऑडिट और संरचनात्मक विश्लेषण भी करेंगे. नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु माहेश्वरी ने कहा कि अभी तक किसी नुकसान की खबर नहीं है और केवल कुछ मलबा ही सड़क की ओर आया है.

रितु माहेश्वरी ने कहा, "मोटे तौर पर, आसपास की हाउसिंग सोसाइटी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. केवल कुछ मलबा सड़क की ओर आया है. हम जल्द ही स्थिति का बेहतर अंदाजा लगा लेंगे."

बता दें कि 9 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद ट्विन टावरों को गिरा दिया गया. सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के निवासियों ने 2012 में इन टावरों को एक संशोधित भवन योजना के हिस्से के रूप में अनुमोदित किए जाने के बाद अदालत का रुख किया था. उन्होंने कहा कि टावर उस स्थान पर बनाए गए थे, जहां शुरू में बगीचे की योजना बनाई गई थी.

जांच के बाद स्वीकृतियों में गड़बड़ी पाई गई और कुछ अधिकारियों को कार्रवाई का सामना करना पड़ा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2014 में गिराए जाने का आदेश दिया था. मामला फिर सर्वोच्च न्यायालय में गया. पिछले अगस्त में कोर्ट ने टावरों को गिराने के लिए तीन महीने का समय दिया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते इसमें एक साल का समय लग गया.
 

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