5 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट...फिर ठगे 2 करोड़, साइबर अपराधियों के जाल में फंसे रिटायर्ड मेजर जनरल

गिरफ्तारी के डर से पीड़ित ने म्यूच्यूअल फंड्स और एफडी को तोड़कर पूरी रकम ठगों के विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दी. रिटायर्ड मेजर जनरल ने बैंक जाकर जालसाजों द्वारा बताए गए खातों में दो करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर की.

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नोएडा:

नोएडा में साइबर ठगों ने एक रिटायर्ड मेजर जनरल से पूरे दो करोड़ रुपये की ठगी की है. ठगी का एहसास होने पर रिटायर्ड मेजर जनरल ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और मदद मांगी. पुलिस ने ये जानकारी दी और बताया कि सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को उनके नाम से मादक पदार्थ समेत अन्य अवैध वस्तुएं विदेश भेजे जाने का उल्लेख कर जेल का डर दिखा ठगी की गई. उनको डर दिखाकर पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा. साइबर अपराधियों ने सीबीआई और मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर सोशल मीडिया के माध्यम से ये सब किया.

गिरफ्तारी के डर से पीड़ित ने म्यूच्यूअल फंड्स और एफडी को तोड़कर पूरी रकम ठगों के विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दी. रिटायर्ड मेजर जनरल ने बैंक जाकर जालसाजों द्वारा बताए गए खातों में दो करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर की. जब पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ, तब पुलिस से शिकायत की. साइबर क्राइम पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

साइबर अपराध थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार गौतम ने बताया कि सेक्टर 31 में रहने वाले मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एन के धीर ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 10 अगस्त को उन्हें एक फोन आया और फोन करने वाले ने खुद को डीएचएल कोरियर सेवा का कर्मी बताया.

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जेल का दिखाया डर

शिकायत के मुताबिक, उसने धीर से कहा कि उनके नाम से मुंबई से ताइवान एक पार्सल बुक हुआ है. जिसे सीमा शुल्क विभाग, मुंबई ने खोला तो उसमें पांच पासपोर्ट, पांच बैंक के क्रेडिट कार्ड, कपड़े, 200 ग्राम एमडीएमए (मादक पदार्थ )और एक लैपटॉप है और यह अवैध सामान है. आरोपी ने उनकी (धीर की) कथित मुंबई अपराध शाखा के पुलिस के अधिकारी से बात करवाई जिसने अपना पहचान पत्र और फोटो भी व्हाट्सएप पर भेजा. सारी बातें सोशल मीडिया मंच ‘व्हाट्सऐप' पर हुई, और ठगों ने सीबीआई का एक पत्र भी भेजा, जिसमें साफ-साफ लिखा था कि उन्हें जेल जाने से बचना है तो किसी के साथ कोई भी जानकारी साझा नहीं करनी है.

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ठगो को थी वित्तीय स्थिति की पूरी जानकारी

पुलिस ने बताया कि ठगों ने सेवानिवृत्त मेजर जनरल से उनके पास मौजूद सारी रकम एक बैंक खाते में स्थानांतरित करने को कहा, जिस पर उन्होंने 14 अगस्त को संबंधित खाते में रकम स्थानांतरित कर दी. पीड़ित के अनुसार आरोपियों के पास उनकी वित्तीय स्थिति से जुड़ी पूरी जानकारी थी.

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