Noida : लोन दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 11 लोग गिरफ्तार

घोटाले के पीड़ितों से पैसा पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में प्राप्त किया जाता था, जिसे कर्नाटक के अरविंद नामक एक व्यक्ति से 10,00 रुपये प्रति माह किराए पर लिया गया था.

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गिरोह ने अवैध तरीके से खरीदे गए फर्जी आधार कार्ड पर सिम कार्ड खरीदे थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नोएडा:

मात्र 2,500 रुपये में खरीदे गए फोन डेटा का इस्तेमाल कर नोएडा में सैकड़ों लोगों को ठगने का काम किया गया है. यह धोखाधड़ी नोएडा में एक फर्जी कॉल सेंटर से की जा रही थी. फर्जी बीमा पॉलिसियां और लोन बेचने के आरोप में नौ महिलाओं समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसकी जानकारी पुलिस द्वारा दी गई है.  

इस कॉल सेंटर को दो पूर्व इंश्योरेंस पॉलिसी एजेंट चला रहे थे और वो नोएडा सेक्टर 51 की मार्केट की एक बिल्डिंग के चौथी मंजिल से इसे ऑपरेट कर रहे थे. पुलिस ने बताया कि गैंग दिल्ली-एनसीआर के बाहर के लोगों को निशाना बनाती थी और लोन और इंश्योरेंस पर उन्हें हाई रिटर्न ऑफर करती थी.

इस घोटाले के मास्टरमाइंड आशीष और जितेंद्र ने नौ महिलाओं को कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव के तौर पर नौकरी दी थी, जो लोगों को कॉल करके ये पॉलिसी बेचती थीं. गिरोह ने अवैध तरीके से खरीदे गए फर्जी आधार कार्ड के जरिए सिम कार्ड खरीदे थे. 

इन सिम कार्ड का इस्तेमाल अपनी पहचान छिपाने के लिए किया जाता था और साथ ही अनजान लोगों को निशाना बनाया जाता था. यह संगठन कमीशन के आधार पर काम करता था - जितने ज़्यादा लोगों को आप फंसाते हैं, उतना ज़्यादा पैसा आपको मिलता है.

घोटाले के पीड़ितों से पैसे पंजाब नेशनल बैंक के खाते में जमा कराए जाते थे, जिसे कर्नाटक में अरविंद नाम के एक व्यक्ति ने 10,000 रुपये प्रति माह किराए पर लिया था. आशीष और जितेंद्र दोनों ही नोएडा में पैसे निकालने के लिए डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते थे. पुलिस की छापेमारी के बाद आशीष द्वारा इस्तेमाल की गई एक ब्लैक डायरी बरामद हुई. इस डायरी में एक साल तक चले घोटाले के हर वित्तीय लेन-देन का ब्यौरा था, जिससे करोड़ों रुपए कमाए गए हैं. 

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि शुक्रवार को अपराध प्रतिक्रिया दल (सीआरटी) और स्थानीय सेक्टर 49 पुलिस थाने के अधिकारियों के संयुक्त अभियान में इस गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है. पुलिस ने कहा कि उनके खिलाफ रांची में भी इसी तरह का मामला दर्ज किया गया था.

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उन्होंने कहा, "आशीष और जितेंद्र ने 2019 में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के लिए काम करने के बाद यह धोखाधड़ी का काम शुरू किया. उन्होंने इंडिया मार्ट से लगभग 10,000 लोगों का डेटा 2,500 रुपये में खरीदा और पूरे भारत में लोगों को कॉल करना शुरू कर दिया, उन्हें लोन और बीमा देने के बहाने धोखा दिया."

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में मुख्य आरोपी आशीष कुमार उर्फ ​​अमित और जितेंद्र वर्मा उर्फ ​​अभिषेक शामिल हैं. गिरफ्तार की गई नौ महिलाओं में निशा उर्फ ​​स्नेहा, रीजू उर्फ ​​दिव्या, लवली यादव उर्फ ​​श्वेता, पूनम उर्फ ​​पूजा, आरती कुमारी उर्फ ​​अनन्या, काजल कुमारी उर्फ ​​सुरती, सरिता उर्फ ​​सुमन, बबीता पटेल उर्फ ​​माही और गरिमा चौहान उर्फ ​​सोनिया शामिल हैं. 

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मामले में नव-अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

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