अमेज़न, फ्लिपकार्ट को SC से राहत नहीं, CCI जांच में दखल देने से इंकार

प्रतिस्पर्धा आयोग ई कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ कथित तौर पर प्रतिस्पर्धा कानूनों के उल्लंघन के आऱोप में जांच कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को जांच मे सहयोग करने के लिए 4 हफ्ते की मोहलत दी है.

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अमेजन फ्लिपकार्ट मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों कंपनियों के जांच में शामिल होने का समय चार हफ्ते बढ़ाया. प्रतिस्पर्धा आयोग ई कॉमर्स कंपनी (E Commerce Companies) अमेजन और फ्लिपकार्ट (Amazon and Flipkart ) के खिलाफ कथित तौर पर प्रतिस्पर्धा कानूनों के उल्लंघन के आऱोप में जांच कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को जांच मे सहयोग करने के लिए 4 हफ्ते की मोहलत दी है.

CJI एनवी रमना की बेंच ने कहा कि हम फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं देंगे. इस मामले की जांच होनी चाहिए. दरअसल, ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की जांच के ख‍िलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कंपनी ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच पर रोक लगाने की मांग की है. 

दरअसल, 23 जुलाई को ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट को झटका लगा. कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक पीठ ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा इन पर जांच के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस नटराज रंगास्वामी की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के 11 जून के आदेश के खिलाफ ई-कॉमर्स दिग्गजों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया. 

बता दें कि ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन और फ्लिपकार्ट ने सीसीआई के एक आदेश के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. सीसीआई ने इनके प्लेटफॉर्म पर स्मार्टफोन की ऑनलाइन बिक्री में प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण के आरोपों की जांच महानिदेशक (डीजी) से करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि याचिका अपील योग्य नहीं हैं और यह खारिज किए जाने योग्य हैं. सीसीआई ने महानिदेशक को दिल्ली व्यापार महासंघ द्वारा शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था.

 ई-कॉमर्स संस्थाओं ने 13 जनवरी, 2020 के इस आदेश को चुनौती दी थी. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग इन आरोपों की जांच कर रहा है कि दोनों कंपनियां अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर चुनिंदा विक्रेताओं को बढ़ावा देती हैं और प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के लिए भारी छूट का इस्तेमाल करती हैं.

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