दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने वाले अरविंदर सिंह लवली ने उन अटकलों का जोरदार खंडन किया है कि वो पार्टी बदलने वाले हैं और भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. लवली ने कहा कि उन्होंने खुद अपना त्याग पत्र मीडिया में लीक नहीं किया है और ना ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने पद छोड़ दिया, क्योंकि वो लोगों को बर्खास्त करने के काम में पक्षपात महसूस करते थे.
अरविंदर सिंह लवली ने एनडीटीवी से एक विशेष साक्षात्कार में कहा, "मुझसे पीढ़ियों से कांग्रेस के प्रति वफादार रहे नेताओं को हटाने के लिए कहा जा रहा था. मैं ऐसा नहीं कर सका... एक पार्टी को असंतुष्ट लोगों तक पहुंचना चाहिए, न कि उन्हें और अलग करना चाहिए."
कांग्रेस दिल्ली में अन्ना हजारे और आप नेताओं के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के कारण सत्ता से बाहर हो गई थी. कड़े प्रतिरोध की वजह से 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्ष की एकता का प्रयास नाकाम हो गया था, लेकिन इस बार संयुक्त मोर्चा बनाने के विपक्ष के आह्वान के साथ, दोनों दल दिल्ली में सीट साझा करने की योजना पर सहमत हुए हैं. हालांकि, पंजाब में दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं. विपक्षी नेता मान रहे हैं कि अभी बीजेपी को हराने का यही एकमात्र तरीका है.
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे अपने पत्र में, लवली ने भ्रष्टाचार के मामलों में आप के कई मंत्रियों को जेल भेजे जाने की ओर इशारा किया. इसके बावजूद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा करने में असमर्थ होने के कारण वो पद से इस्तीफा दे रहे हैं.