दिल्ली एम्स में ऑप्टोमेट्री के छात्र धरने पर बैठे हैं. इन छात्रों का आरोप है कि एम्स प्रशासन इनके साथ भेदभाव कर रहा है. 20 दिन से प्रदर्शन कर रहे यह छात्र अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. छात्रों के अनुसार, पिछले 20 दिनों से यह मेडिकल छात्र ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस के डायरेक्टर ऑफिस के बाहर धरने पर बैठे हैं.
धरने पर बैठे ये मेडिकल के स्टूडेंट्स शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन पिछले 20 दिन से उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. प्रदर्शन कर रहे छात्रों का दावा है कि उनकी पढ़ाई के लिए ना कोई लेक्चर हॉल्स है, ना पढ़ाने वाली कोई विशेषज्ञ शिक्षक .और ना ही कोई करिकुलम है.
कोई सुध लेने वाला नहीं
हमारे पास कॉलेज आफ ऑप्टोमेट्री नहीं है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जो करिकुलम जारी किया गया है उसको हमारे यहां इंप्लीमेंट नहीं किया जा रहा है. 1976 से हमारा यह कोर्स चल रहा है 48 साल हो गए हैं..लेकिन प्रॉपर गाइडलाइन नहीं है..
छात्रों का दावा है कि 2 साल पहले उनके एक साथी की ठीक खान पान और सही रहन-सहन की वजह से उसकी मौत हो गई थी. उसे दौरान भी इन लोगों ने प्रदर्शन किया था तब डायरेक्टर ने उनकी मांगों को मानते हुए लिखित में आश्वासन दिया था लेकिन अब 2 साल बाद बीत जाने के बावजूद भी उस लिखित आश्वासन को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. यहां एक तरफ छात्रों का विजुअल चलाएं दूसरी तरफ उस लिखित आश्वासन की तस्वीर को दिखाएं.
हमने 2 साल पहले भी प्रोटेस्ट किया था उस दौरान हमारे एक सीनियर की डेथ हो गई थी. कल हमारे एक सीनियर की हालत खराब हो गई थी उसी इमरजेंसी में ले जाना पड़ा हमको यह लगातार दबाव डाल रहे हैं. हम अपना हक मांग रहे हैं. 2 साल पहले हमको आश्वासन दिया गया था लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं.
ऑप्टोमेट्रिस्ट डॉक्टर्स, आंखों और दृष्टि से जुड़ी बीमारियों और विकारों का इलाज करते हैं. एम्स में प्रदर्शन कर रहे छात्रों का दावा है कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और ह्यूमन राइट कमीशन तक को लिखा है... उन लोगों ने उनकी पत्र को स्वीकार तो किया है लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दिया है. एनडीटीवी की टीम ने जब एम्स प्रशासन से इस मुद्दे पर संपर्क किया तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया.