Exclusive: क्‍या हो सकता है नई सरकार के शुरुआती 100 दिनों का एजेंडा, अर्थशास्‍त्री एनके सिंह ने बताया

वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह का कहना है कि मुझे लगता है कि नई सरकार के गठन के पहले 100 दिन के एजेंडा में इस दिशा में भी पहल होगी कि किस तरह ऋण, ग्रोथ और राजकोषीय विवेक को बैलेंस किया जाए. आरबीआई गवर्नर ने फूड इन्फ्लेशन के मोर्चे पर सतर्क रहने की बात कही है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
ग्रोथ के साथ राजकोषीय स्थिरता पर फोकस करना जरूरी होगा...
नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) इस महीने से शुरू होने जा रहे हैं और जून में देश को नई सरकार मिल जाएगी. ऐसे में यह सवाल भी उठने लगा है कि नई सरकार के पहले 100 दिन का एजेंडा क्‍या होगा? इन 100 दिनों में नई सरकार की प्राथमिकताएं क्‍या होंगी? भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में क्‍या कदम उठाए जाएंगे?  NDTV से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह (NK Singh) ने कहा कि नई सरकार को शुरुआती 100 दिनों में खाद्य महंगाई दर को लेकर सतर्क रहना होगा और वित्तीय प्रबंधन बेहतर करने पर ध्यान देना ज़रूरी.

TIOL कौटिल्य अवार्ड में NDTV से वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 98 वें स्‍थापना दिवस के एक विशेष कार्यक्रम में संकेत दिया था कि उनका आगे का एजेंडा क्‍या होगा. उन्‍होंने कहा था कि यह भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि रही है, जो पिछले 10 वर्षों में हमने राजकोषीय अनुशासन, स्‍ट्रक्‍चर रिफॉर्म, ऋण का किस रूप से मैनेजमेंट किया जाए... इसका समन्‍वय जो हमारे ग्रोथ रेट पर होना चाहिए, इसका उल्‍लेख प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में किया था. उन्‍होंने बताया कि स्थिरता के साथ विकास (Growth with Stability) कैसे किया जा सकता है."

एनके सिंह ने कहा, "मुझे कोई आश्‍चर्य नहीं होगा, अगर अगले 100 दिनों के एजेंडे का उल्‍लेख, जो प्रधानमंत्री मोदी ने किया है, उसमें ग्रोथ, राजकोषीय शुद्धता, और ऋण का मैनेजमेंट हो. भारत ने जो पिछले सालों में उपलब्धि हासिल की है, अंतरराष्‍ट्रीय योजनाओं में उसकी सराहना हो रही है. इस बात को लेकर अतंरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सराहना होती है कि भारत ही एक ऐसा देश रहा, जिसने पूरे महामारी के काल में राजकोषीय नियमों का पालन किया, तकनीक के माध्‍यम से लोगों को राहत पहुंचाई. बिना राजकोषीय लाभप्रदता के काम किया, जिससे हमारा रोडमेप संतुलित बना रहे. इसने अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसियां को प्रभावित किया है. ऐसे में अंतरराष्‍ट्रीय मॉनिटरिंग फंड और वर्ल्‍ड बैंक का यह विचार है कि आने वाले वर्षों में भारत पूरी दुनिया के लिए एक 'ब्राइट स्‍पॉट' रहेगा."         

हाल ही में आरबीआई के गर्वनर ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और यह नीचे आ रही है, लेकिन खाद्य महंगाई दर को लेकर अनिश्चितता अब भी है. इसलिए हमें सर्तक रहना होगा. क्‍या नई सरकार को भी इस ओर ध्‍यान देना होगा? वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने कहा, "अरबीआई के गर्वनर ने मौजूदा हालात को देखकर यह बात कही है. मेरा मानना है कि यह बात सही भी है कि मौजूदा हालात में  खाद्य महंगाई दर को लेकर अनिश्चितता है, जिसे कहते हैं- मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करना. वह चाहते हैं कि इसे कुछ महीने देखने के बाद ही निर्णय लेना सही होगा. इसी पर निर्भर करेगा कि जो वर्तमान ब्‍याज दर नीति है, उसमें किस रूप से परिवर्तन किया जाए. विश्‍व की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था अमेरिका का भी यह अनुमान है कि यह अभी निश्चित नहीं है कि मुद्रास्फीति खत्‍म हो गई है."    

Advertisement

एनके सिंह ने कहा, "इसलिए आने वाले समय की अनिश्चितता को देखते हुए सर्तक होकर आगे कदम बढ़ाने हैं, लेकिन तीन पहलुओं पर विचार करते हुए. पहला- खाद्य महंगाई दर में सप्‍लाई साइड में वृद्धि, साथ ही कृषि क्षेत्र में जो परिवर्तन लाना है... प्रधानमंत्री मोदी भी इस बारे में कह चुके हैं, इस ओर ध्‍यान देना होगा. दूसरा, जो समन्‍वय की आवश्‍यकता है... इसे लेकर आरबीआई बेहद सर्तक है कि विकास पर मौजूदा ब्‍याज दर नीति का कुप्रभाव नहीं होना चाहिए. तीसरा- अगले कुछ महीनों में हमारी प्राथमिकता क्‍या रहेगी... यह आगे आने वाले सालों में भारत का जो विकसित देश बनने का लक्ष्‍य है, उसकी दिशा तय करेगी. इसके लिए विकास दर 8 से ऊपर रहनी चाहिए, इसे बनाए रखने के लिए जो नीतियां बनाने और परिवर्तन करने की आवश्‍यकता है, वो आने वाली सरकार का शुरुआती 100 दिनों का एजेंडा बन सकता है."      

Advertisement

ये भी पढ़ें:-  "मोदी सरकार के किए आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाना जरूरी"- 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया

Featured Video Of The Day
PM Modi Kuwait Visit: PM मोदी के कुवैत दौरे का दूसरा दिन, Bayan Palace में दिया गया Guard Of Honour
Topics mentioned in this article