केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बुधवार को लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (MSME) के अधिकारियों को कड़ा संदेश दिया. उन्होंने अधिकारियों के साथ एक ऑनलाइन मीटिंग में उद्यमों के जरिए गरीबी, बेरोजगारी हटाने और समाज का आर्थिक उन्नयन करने की बात कही. उन्होंने कहा कि ''अगर हम कॉन्ट्रीब्यूट नहीं कर रहे तो खाया-पिया कुछ नहीं, ग्लास फोड़ा आठ आना... '' उन्होंने कहा कि ''तो इतने अफसरों की जरूरत क्या है? क्या सरकार इसलिए है कि हम लोगों को फोकट की तनख्वाह दें? जानवर को चारा खिलाएं और वह दूध न दे तो सवाल आएगा न कि जानवर का उपयोग क्या?''
नितिन गडकरी ने अधिकारियों से कहा कि ''एमएसएमई के जो जिला स्तर पर अधिकारी हैं वे सभी स्टेक होल्डर के बीच सहकारी हों, कोऑपरेशन और कम्युनिकेशन बनाएं. इससे हमें ज्यादा से ज्यादा आउटपुट दिलाएं.''
उन्होंने अधिकारियों से सवाल किए कि ''कभी-कभी मैं सोचता हूं, आप सब लोग वहां के हैं, जिस जिले में टेक्नालॉजी सेंटर खोला है, उस जिले में बेरोजगारों की संख्या कितनी है? वहां की आर्थिक स्थिति कैसी है? वहां पर गरीबी, भुखमरी की परिस्थिति कैसी है? हमारे उद्योगों के कारण, हमारे इनवेस्टमेंट के कारण, हमारे नए-नए उपक्रमों के कारण गरीबी दूर करने में, बेरोजगारी दूर करने में वहां पर कैपिटा इनकम बढ़ाने में, राज्य की ग्रोथ रेट में कहीं न कहीं हमने कितना कॉन्ट्रीब्यूट किया है?''
गडकरी ने कहा कि ''अगर हम कॉन्ट्रीब्यूट कुछ नहीं कर रहे, खाया-पिया कुछ नहीं, गिलास फोड़ा आठ आना! तो मेरे जैसे व्यक्ति पूछता है कि इतने अफसरों की और इतने सारे इनवेस्टमेंट की जरूरत क्या है? क्या सरकार इसलिए है कि हम लोगों को फोकट की तनख्वाह दें? अगर हम गाय और भैंस घर में पालते हैं, तो ज्यादा दूध दे तो उसको अच्छी खुराक देते हैं. और खुराक देने के बाद यदि हमको दूध ही नहीं मिलता, हम सिर्फ खुराक देते रहे और दूध नहीं मिलेगा तो हमारे लिए उन जानवरों का उपयोग क्या है? कहीं न कहीं सवाल तो आएगा न.''