नीति आयोग (NITI Aayaog) ने कहा है कि भारत में वर्ष 2030 तक 600 गीगावाट घंटा (Gigawatt Hour) की बैटरी भंडारण क्षमता होने की संभावना है. इलेक्ट्रिक वाहन (Electronic Vehicle) , भंडारण व्यवस्था एवं उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स ( Electronic Consumer Items) के लिए मांग बढ़ने से बैटरी भंडारण को बढ़ावा मिलेगा. नीति आयोग ने अपनी यह रिपोर्ट बैटरी भंडारण के भावी परिदृश्य को लेकर अनुमान लगाया गया है. इसके मुताबिक, बैटरी (Battery) की पुनर्चक्रण प्रक्रिया ( Recycling Process) में सभी संबंधित पक्षों को भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने वाला एक सुसंगत नियामकीय ढांचा होने से देश में बैटरी पुनर्चक्रण परिवेश के विकास में मदद मिलेगी.
यह रिपोर्ट कहती है, 'हमारे विश्लेषण के हिसाब से वर्ष 2030 तक भारत में बैटरी भंडारण की कुल संभावना 600 गीगावाट घंटा होगी. यहां बताते चलें कि 1000 मेगावाट बराबर होता है एक गीगावाट के. इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) एवं उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर देश में बैटरी भंडारण के नजरिये से मांग को गति देने वाले प्रमुख घटक होंगे.
नीति आयोग की 'भारत में उन्नत सेल बैटरी पुनःप्रयोग एवं पुनर्चक्रण बाजार' रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए ऊर्जा भंडारण 4.5 GWH के साथ लिथियम ऑयन बैटरी के लिए सबसे बड़ा बाजार था. हालांकि ईवी बैटरियां भी 0.92 GWH के साथ करीब 10 फीसदी बाजार पर काबिज थीं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2010 से 2020 के बीच बैटरियों के लिए वैश्विक मांग सालाना आधार पर 25 फीसदी की दर से बढ़कर 730 जीडब्ल्यूएच हो गई. इसके वर्ष 2030 तक चार गुना बढ़कर 3,100 जीडब्ल्यूएच हो जाने का अनुमान है.