NIA ने जम्मू-कश्मीर में 14 ठिकानों पर डाली रेड, आतंकियों पर शिकंजा कसने की मुहिम 

NIA की Jammu-Kashmir में यह छापेमारी दो मामलों को लेकर चल रही है. इसमें एक 27 जून को जम्मू में बरामद आईईडी विस्फोटक को लेकर की गई है. जबकि दूसरी छापेमारी में लश्कर ए मुस्तफा केस से जुड़ी बताई गई है.

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जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर एनआईए ने छापेमारी की (प्रतीकात्मक)
श्रीनगर:

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एनआईए (NIA) ने शनिवार को 14 स्थानों पर छापेमारी की. इसमें कश्मीर घाटी के शोपियां, अनंतनाग, बनिहाल और सुंजवान और जम्मू के कई इलाके शामिल हैं. एनआईए की यह छापेमारी दो मामलों को लेकर चल रही है. इसमें एक 27 जून को जम्मू में बरामद आईईडी विस्फोटक को लेकर की गई है. जबकि दूसरी छापेमारी में लश्कर ए मुस्तफा केस से जुड़ी बताई गई है. इससे पहले सीबीआई ने गन लाइसेंस घोटाले (Gun License Scam) में जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी, इसमें कई आईएएस समेत बड़े अधिकारी शामिल थे. 

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में इससे पहले जांच एजेंसी ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ 11 जुलाई को बड़ी कार्रवाई की थी. टेरर फंडिंग केस (Terror Funding Case) में तब NIA कई जगहों पर छापेमारी की थी. भारतीय उपमहाद्वीप में कट्टरपंथ से जुड़ा एक टेरर फंडिंग मामला दर्ज किया गया था. इस केस के सिलसिले में ही जम्मू-कश्मीर में तलाशी अभियान चलाया गया था. यह मामला ऑनलाइन कट्टरपंथी प्रचार-प्रसार (Online extremism) से भी जुड़ा हुआ है. इसमें विदेशी तत्वों की भी जांच की गई थी." श्रीनगर और केंद्र शासित प्रदेश के बारामूला और अनंतनाग जिले में चल रहे इस तलाशी अभियान में एनआईए के साथ-साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ और जम्मू-कश्मीर पुलिस भी जुटी हुई थी. वहीं 

वहीं सीबीआई ने 24 जुलाई को गन लाइसेंस की अवैध बिक्री के मामले में श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी के आवास सहित 22 ठिकानों पर छापेमारी की थी. चौधरी वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में जनजातीय मामले के सचिव और सीईओ मिशन यूथ हैं. उन्होंने कठुआ, रियासी, राजौरी और उधमपुर जिलों के उपायुक्त के रूप में भी सेवाएं दी हैं.

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आरोप है कि उन्होंने तमाम राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों को फर्जी नामों पर हजारों लाइसेंस जारी किए. जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2012 के बाद से जम्मू-कश्मीर से दो लाख से अधिक बंदूक लाइसेंस अवैध रूप से जारी किए गए हैं. इसे भारत का सबसे बड़ा गन लाइसेंस घोटाला माना जा रहा है.

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