अनिवार्य मंजूरी के बगैर संचालित और अवैध रूप से भूजल का दोहन कर रही उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सभी औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का निर्देश देते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने कहा है कि राज्य में भूजल का दोहन पूर्वानुमति के बगैर नहीं किया जा सकता है. एनजीटी ने कहा कि केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में 70 फीसदी से ज्यादा होटल या व्यावसायिक प्रतिष्ठान अवैध रूप से भूजल का दोहन करते हैं.
अधिकरण ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में जल अधिनियम के तहत अनिवार्य मंजूरी के साथ संचालित नहीं हो रहे प्रतिष्ठानों को सील करने का निर्देश दिया जाता है और इन प्रतिष्ठानों के मालिकों के खिलाफ भूजल चोरी का मामला दर्ज किया जाए.''
उसने कहा, ‘‘राज्यों में पूर्वानुमति के बगैर भूजल दोहन को मंजूरी नहीं है. इतना ही नहीं, भूजल का दोहन सिर्फ तय शुल्क के भुगतान के बाद ही किया जाना चाहिए.''
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. के. गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भूजल दोहन पर नियंत्रण और नियमन पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बावजूद बड़े पैमाने पर ऐसा हो रहा है और यह चिंता का विषय है.
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा और कोई विचार नहीं है, हम यही कह सकते हैं कि कार्यपालिका उच्चतम न्यायालय के आदेश को पालन कराने में असफल रही है.''
एनजीटी गाजियाबाद के 122 होटल द्वारा अवैध रूप से भूजल दोहन के मामले की सुनवाई कर रहा था, लेकिन साथ ही उसने राज्य के नौ प्रमुख शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बरेली, वाराणसी, झांसी और गोरखपुर में भी ऐसी समस्याओं को इस अर्जी के साथ जोड़ लिया.
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