एक गैर-सरकारी संगठन, अखिल भारतीय महिला सम्मेलन (AIWC)ने अपनी समिति के एक सदस्य द्वारा गोरखा समुदाय के कलाकारों के प्रदर्शन को खारिज करने और इससे गोरखाओं के बीच उपजी नाराजगी के बाद माफी मांगी है. समिति के सदस्य ने यह कहते हुए गोरखा कलाकारों का प्रदर्शन खारिज कर दिया था कि नेपाली एक "गैर-भारतीय भाषा" है.
एक गोरखा समूह ने शुक्रवार को कहा कि उसने इस मामले में कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया है.
भारतीय गोरखा युवा परिषद के अनुसार, AIWC की कार्यकारी सदस्य चंद्रप्रभा पांडे ने पश्चिम बंगाल के कलिम्बोंग जिले के कलाकारों द्वारा "आजादी का अमृत महोत्सव" कार्यक्रम के लिए भेजे गए योगदान को यह कह कर खारिज कर दिया था कि "गैर-भारतीय भाषाओं" में प्रदर्शित शो को शामिल नहीं किया जा सकता है.
समूह ने कहा, उन्होंने जोर देकर कहा कि कलाकार नेपाली में गाया गया राष्ट्रगान नहीं भेज सकते क्योंकि यह "भारत की भाषा नहीं" है. इस बीच, एआईडब्ल्यूसी ने कहा कि प्रबंधन को मामले से अवगत करा दिया गया है और वह अपने सदस्य की टिप्पणी की निंदा करता है.
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AIWC की अध्यक्ष शीला करकड़े की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “हम AIWC सदस्य द्वारा दिखाई गई अज्ञानता का कड़ा विरोध और निंदा करते हैं. एआईडब्ल्यूसी के सभी सदस्यों की ओर से हम अपने प्यारे गोरखा भाइयों से बिना शर्त माफी मांगते हैं."
दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता ने चंद्रप्रभा पांडे द्वारा हस्तलिखित माफी के साथ बयान साझा किया है. सांसद ने कहा, “अतीत में इस तरह के कई अपमानजनक बयानों को चुनौती नहीं दी गई है, जिसके कारण हमारे लोगों को बार-बार नस्लवादी ताने और भेदभाव का शिकार होना पड़ा है लेकिन हम अब और भेदभाव और नस्लवाद के ऐसे कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेंगे.”