5 शहर, 100 ठिकाने और 500 पुलिसकर्मी : NewsClick छापेमारी के लिए दिल्ली पुलिस ने कैसे बनाया प्लान

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने यह कार्रवाई गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत की. न्यूजक्लिक पर चीनी प्रोपेगैंडा (Chinese Propaganda) को बढ़ावा देने का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) का मानना है कि न्यूज़क्लिक को चीन से कथित संबंध रखने वाली संस्थाओं से लगभग 38 करोड़ रुपये मिले.

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दिल्ली पुलिस ने आज न्यूजक्लिक के 100 से ज्यादा साइट पर छापा मारा.
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार 3 अक्टूबर को वेबसाइट न्यूजक्लिक (NewsClick) के 30 से ज्यादा लोकेशंस पर रेड (NewsClick website raids) की. पुलिस कुछ पत्रकारों को अपने साथ ले गई है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने यह कार्रवाई गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत की. 5 अगस्त को अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' (New York Times)ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि न्यूजक्लिक को एक अमेरिकी अरबपति नोवेल रॉय सिंघम ने फाइनेंस किया था. वे चीनी प्रोपेगैंडा (Chinese Propaganda)को बढ़ावा देने के लिए भारत समेत दुनियाभर में संस्थाओं को फंडिंग करते हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर 17 अगस्त को न्यूजक्लिक के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के सीनियर अधिकारियों की सोमवार को एक मीटिंग के दौरान मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया. सूत्रों के मुताबिक, आज जिन पत्रकारों के घरों पर छापेमारी हुई, उन सभी की लिस्ट पहले ही तैयार कर ली गई थी. इन पत्रकारों को तीन कैटेगरी में बांटा गया था. हर कैटेगरी में उनके खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई खासतौर पर प्लान की गई थी.

पांच शहरों दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और मुंबई में 100 से ज्यादा लोकेशन (साइट) पर छापेमारी हुई. इसमें 500 से ज्यादा  पुलिसकर्मी शामिल थे. हालांकि, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन कई सीनियर पत्रकारों को पूछताछ के लिए स्पेशल सेल के दफ्तरों में ले जाया गया है. आगे की जांच के लिए पत्रकारों के सेलफोन और लैपटॉप समेत उनके गैजेट जब्त कर लिए गए हैं.

दिल्ली पुलिस के पास 20-25 सवालों की लिस्ट
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने डिवाइस की एक लिस्ट भी तैयार की थी. छापे के दौरान मिले डिवाइसों के IMEI नंबरों का मिलान किया गया था. दिल्ली पुलिस के पास 20-25 सवालों की एक लिस्ट भी थी. ये सवाल दिल्ली के शाहीन बाग में मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से जुड़े थे.

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पत्रकारों पर इन धाराओं में केस दर्ज
इस वेबसाइट से जुड़े कई पत्रकारों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की 5 धाराओं और भारतीय दंड संहिता के 2 धाराओं के तहत आरोप हैं. इन आरोपों में आपराधिक साजिश, कई समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आतंकवादी गतिविधियां और आतंकी गतिविधियों के लिए फंड जुटाना शामिल है.

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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जताई चिंता
इस बीच प्रेस संगठनों ने न्यूज़क्लिक के खिलाफ एक्शन पर चिंता जाहिर की है. 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' ने एक बयान में कहा, "EGI 3 अक्टूबर की सुबह वरिष्ठ पत्रकारों के घरों पर छापे और उसके बाद उनमें से कई पत्रकारों की हिरासत को लेकर बेहद चिंतित है. हम राज्य से उचित प्रक्रिया का पालन करने का आग्रह करते हैं. प्रेस को डराने-धमकाने के लिए कठोर आपराधिक कानूनों को हथियार न बनाया जाए."

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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा- घटनाक्रम पर रख रहे नजर
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने हैशटैग #DefendMediaFreedom के साथ एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा, "न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई कई छापेमारी से प्रेस क्लब ऑफ इंडिया काफी चिंतित है. हम घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं और एक विस्तृत बयान जारी करेंगे."

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सर्च एजेंसी ​तय नियमों के तहत जांच के लिए स्वतंत्र-अनुराग ठाकुर
उधर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भुवनेश्वर में पत्रकारों से कहा कि उन्हें सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई को सही ठहराने की जरूरत नहीं है. ठाकुर ने कहा, "अगर किसी ने कुछ भी गलत किया है, तो सर्च एजेंसी ​तय नियमों के तहत उनके खिलाफ जांच करने के लिए स्वतंत्र हैं."

विपक्षी गठबंधन INDIA ने जारी किया साझा बयान
इस बीच इस छापेमारी को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है. विपक्षी गठबंधन INDIA ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वह मीडिया के साथ खड़ा है. विपक्षी गठबंधन ने कहा, "भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) की पार्टियां मीडिया पर बीजेपी सरकार के ताजा हमले की कड़ी निंदा करती हैं. हम मीडिया के साथ और संवैधानिक रूप से संरक्षित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मजबूती के साथ खड़े हैं."

वहीं, व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस के शशि थरूर, जेडीयू के राजीव रंजन सिंह, आरजेडी के मनोज झा और शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने छापेमारी को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उनमें से कई ने वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स पर भारत की खराब रैंकिंग का भी हवाला दिया है.

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