ITR फाइलिंग में देरी पर भी रिफंड मिलेगा, ग्रेच्युटी-पेंशन में राहत, जानें नए आयकर कानून की बारीकियां

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा के दौरान बताया कि इसमें कोई नई कर दर नहीं जोड़ी गई है. इसका उद्देश्य केवल भाषा को सरल और स्पष्ट बनाना है.

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New Income Tax law
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  • संसद ने छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की जगह नया आयकर विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है
  • नया विधेयक कर दरों में कोई बदलाव नहीं करता बल्कि भाषा और प्रावधानों को सरल तथा स्पष्ट बनाने पर केंद्रित है
  • विधेयक में धाराओं की संख्या घटाकर 536 और शब्दों की संख्या लगभग आधी कर दी गई है ताकि समझने में सुविधा हो
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नई दिल्ली:

संसद ने मंगलवार को देश के कर ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने वाले नए आयकर विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी. लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा ने भी इसे हरी झंडी दिखा दी.  यह नया कानून  अप्रैल, 2026 से लागू होगा. नए इनकम टैक्स बिल 2025 में टीडीएस से जुड़े आसान प्रावधान शामिल किए गए हैं. इसमें यह प्रावधान है कि आयकर रिटर्न की समयसीमा निकल जाने के बाद भी आईटीआर भरकर टीडीएस रिफंड लिया जा सकेगा. मौजूदा आयकर अधिनियम में ऐसा नहीं है. उसमें अंतिम तारीख के बाद आईटीआर दाखिल करने पर रिफंड नहीं मिलता है. नए कानून के मुताबिक, जो व्यक्ति या संस्था की कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है, वो पहले ही निल टीडीएस प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे. उनका टीडीएस नहीं काटा जाएगा. टीडीएस दावों का रिटर्न फाइल करने की समयसीमा भी 6 से घटाकर 2 साल कर दी गई है. इससे टैक्स कटौती संबंधी विवाद में कमी आएगी.

पूरी पेंशन पर टैक्स छूट 
नए आयकर कानून के तहत, पारिवारिक सदस्यों के लिए कम्यूटेड पेंशन और ग्रेच्युटी के लिए  मानक कर छूट की व्यवस्था दी गई है. सूची VII में दर्ज फंड से पेंशन पाने वालों पर यह नियम लागू होगा. इसमें पूरी पेंशन पर कर छूट का लाभ लिया जा सकेगा. कर्मचारी की मृत्यु होने पर फैमिली को मिली ग्रेच्युटी की पूरी रकम पर भी टैक्स छूट का फायदा मिलेगा.

क्यों लाया गया नया विधेयक

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा के दौरान बताया कि इसमें कोई नई कर दर नहीं जोड़ी गई है. इसका उद्देश्य केवल भाषा को सरल और स्पष्ट बनाना है, ताकि आम करदाता भी कानून को आसानी से समझ सके. उन्होंने कहा, कि ये बदलाव केवल सतही नहीं हैं. 

नए विधेयक में अनावश्यक प्रावधानों और पुरानी भाषा को हटाकर धाराओं की संख्या 819 से घटाकर 536 और अध्यायों की संख्या 47 से घटाकर 23 कर दी गई है. साथ ही शब्दों की संख्या भी 5.12 लाख से घटाकर 2.6 लाख कर दी गई है. 

कैसे बना और कितना समय लगा?

वित्त मंत्री के मुताबिक, नया विधेयक रिकॉर्ड छह महीने में तैयार किया गया इसे तैयार करने में लगभग 75,000 मानव-घंटे लगे. आयकर विभाग के समर्पित अधिकारियों की टीम ने अथक परिश्रम कर इसका मसौदा तैयार किया, जिसे फरवरी 2025 के बजट सत्र में पेश किया गया था. 

वित्त मंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना

जब राज्यसभा में विधेयक पारित हो रहा था, तब कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सदन में मौजूद नहीं थे. विपक्षी सांसद मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए वाकआउट कर चुके थे. वित्त मंत्री ने आश्चर्य जताते हुए कहा, विपक्ष ने कार्य मंत्रणा समिति में इस पर चर्चा के लिए सहमति दी थी, लेकिन आज वे यहां नहीं हैं. 

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सरकार की क्या है योजना?

सीतारमण ने कहा कि वित्त मंत्रालय जल्द ही अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) जारी करेगा, ताकि लोगों को नए कानून की जानकारी मिल सके. साथ ही, नियम भी विधेयक की तरह सरल होंगे. उन्होंने बताया कि आयकर विभाग की कंप्यूटर प्रणाली को 2026 की समयसीमा के अनुरूप अपडेट किया जाएगा. 

इसे क्यों महत्वपूर्ण माना जा रहा है

  • 60 साल बाद आयकर कानून में व्यापक सुधार की गई है. 
  • भाषा और ढांचे को सरल बनाने से करदाता और पेशेवर दोनों के लिए पारदर्शिता और सुविधा बढ़ी है. 
  • डिजिटल युग के मुताबिक सिस्टम अपग्रेड करने की तैयारी है. 
  • बिना टैक्स दर बदले, केवल संरचना और भाषा में सुधार का यह मॉडल है.

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