पंजाब में बवाल के बाद कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने 'पंज प्यारे' टिप्पणी पर मांगी माफी

रावत के इस बयान से इससे अकाली दल नाराज हो गया है, जिसने आरोप लगाया कि हरीश रावत ने "धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है" और उनसे माफी की मांग की है. पार्टी प्रवक्ता डॉ चीमा ने कहा, "हरीश रावत को अपनी बात वापस लेनी चाहिए और सिख संगत से माफी मांगनी चाहिए."

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हरीश रावत जब ये बात कह रहे थे, तब नवजोत सिंह सिद्धू उनके पीछे खड़ा होकर मुस्कुरा रहे थे.
चंडीगढ़:

पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में अंदरूनी कलह के बीच पार्टी प्रभारी हरीश रावत (Harish Rawat) ने 'पंज प्यारे' पर की गई अपनी टिप्पणी पर माफी मांगी है. उन्होंने मंगलवार को चंडीगढ़ में पार्टी नेताओं से मुलाकात करने और उनकी समस्याएं सुनने के बाद पत्रकारों से कहा था कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और उनके अधीन चार कार्यकारी अध्यक्ष 'पंज प्यारे' की तरह हैं. इस टिप्पणी से रावत विवादों में आ गए थे. 

अकाली दल ने इसे धार्मिक अपमान कहा था और आरोप लगाया था कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनके कार्यकारी अध्यक्षों की तुलना गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा में शामिल किए गए "पंज प्यारों" से की गई है.

हरीश रावत जब ये बात कह रहे थे, तब सिद्धू उनके पीछे खड़े मुस्कुरा रहे थे. कुछ दिनों पहले ही रावत ने घोषणा की थी कि अगर सिद्धू अपने उन सलाहकारों को बर्खास्त नहीं करते हैं तो वह कर देंगे, जिन्होंने कश्मीर पर अपनी टिप्पणियों से हंगामा खड़ा किया था. 

चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए रावत ने कहा, "यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं पीपीसीसी प्रमुख से मिलूं, या मैं इन्हें पंज प्यारे कहूं..." फिर उन्होंने कहा कि उनका मतलब सिद्धू और चार कार्यकारी अध्यक्ष समेत पांच लोगों से है.

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रावत के इस बयान से इससे अकाली दल नाराज हो गया है, जिसने आरोप लगाया कि हरीश रावत ने "धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है" और उनसे माफी की मांग की है. पार्टी प्रवक्ता डॉ चीमा ने कहा, "हरीश रावत को अपनी बात वापस लेनी चाहिए और सिख संगत से माफी मांगनी चाहिए."

उन्होंने कहा, "हरीश रावत ने अपनी पार्टी के नेताओं की तुलना 'पंज प्यारे' से की, जिसे सिखों द्वारा अत्यधिक सम्मान दिया जाता है. पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी की तरफ से यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी है. कांग्रेस नेताओं को इस तरह की हल्की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए और मैं उनसे माफी की मांग करता हूं. साथ ही राज्य सरकार को रावत के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज करना चाहिए." 

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कांग्रेस पहले से ही अकाली दल पर सत्ता से बाहर होने के बाद धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाती रही है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सबसे पहले 2017 में ये आरोप लगाया था, जब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अमृतसर के पास एक सिख मदरसा को ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए आतंकवादियों के चित्रों की एक गैलरी स्थापित करने के लिए कहा था.

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