- मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय ने मानसून सत्र से पहले सदन परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है
- कांग्रेस ने इस आदेश को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताते हुए सदन में विरोध की आज़ादी खत्म करने का आरोप लगाया
- आदेश के तहत मास्क, प्रतीकात्मक वस्तुएं, हॉर्न और किसी तरह के प्रदर्शन पर विधानसभा में पूरी तरह से रोक लागू है
28 जुलाई से शुरू हो रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र से पहले ही एक नया आदेश राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है. विधानसभा सचिवालय ने आदेश जारी कर सदन परिसर में किसी भी तरह की नारेबाजी, प्रतीकात्मक प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. विपक्ष ने इस कदम को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है और सवाल उठाया है कि क्या अब जनप्रतिनिधि विरोध भी नहीं कर सकते?
पिछले कुछ सत्रों में कांग्रेस ने अपने विरोध प्रदर्शन को नए-नए तरीकों से दर्ज किया था. बजट सत्र के दौरान विधायक काले मास्क में विधानसभा पहुंचे थे, यह कहते हुए कि सरकार जनता के सवालों से मुंह छिपा रही है. दूसरे दिन कांग्रेस विधायक नकली सांप लेकर पहुंचे यह आरोप लगाते हुए कि सरकार नौकरियों पर सांप बनकर कुंडली मारकर बैठी है. कभी कंकाल और सोने की ईंटें लेकर भ्रष्टाचार पर निशाना साधा गया, तो कभी कर्ज को लेकर जंजीरें पहनकर प्रदर्शन किया गया.
सचिवालय के नए आदेश के अनुसार, स्टैंडिंग ऑर्डर 94(2) के तहत अब मास्क, प्रतीकात्मक वस्तुएं, हॉर्न और किसी भी तरह के प्रदर्शन पर प्रतिबंध रहेगा. यानी विधानसभा अब ‘साइलेंस ज़ोन' में बदल दी गई है. कांग्रेस ने इस आदेश का तीखा विरोध किया है. पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने इसे सरकार के दबाव में लिया गया फैसला बताया और कहा कि अगर विधायकों को सदन में अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो वे जेल में भी जाकर जनता की आवाज उठाएंगे.
उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा, "मीडिया बाइट्स पर भी रोक लगा दी गई है. क्या गांधी और अंबेडकर के नारे भी अब आपत्तिजनक हो गए हैं? क्या मध्यप्रदेश में आपातकाल लागू किया जा रहा है?" पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक लखन घनघोरिया ने इसे असंवैधानिक और लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ बताया.
वहीं, भाजपा विधायक और पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने आदेश का बचाव करते हुए कहा कि विधानसभा "धरना-प्रदर्शन और कुश्ती" के लिए नहीं, बल्कि संविधान के तहत गंभीर चर्चा के लिए होती है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करना है तो रोशनपुरा या दशहरा मैदान में किया जाए, विधानसभा को थिएटर न बनाया जाए.
इसी बीच, इस बार विधानसभा के ई-विधान प्रारूप में जाने के चलते विधायकों ने 3377 प्रश्न लगाए हैं. इनमें से 2076 प्रश्न ऑनलाइन और 1301 प्रश्न ऑफलाइन दर्ज किए गए हैं. विधानसभा सचिवालय ने संबंधित विभागों से समयसीमा के भीतर जवाब मांगे हैं ताकि प्रश्नकाल के दौरान विधायकों को सटीक जवाब मिल सकें.