कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कानून मंत्री किरण रिजिजू के 'लक्ष्मण रेखा' वाले बयान की आलोचना की थी. वहीं अब काननू मंत्री ने पी चिदंबरम को जवाब देते हुए नेहरू जी और श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल की याद दिलाई है. दरअसल पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा था कि राजद्रोह कानून, कई कानूनी विद्वानों की दृष्टि में, संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन करता है. राजा के सभी घोड़े और राजा के सभी लोग उस व्यवस्था को नहीं बचा सकते.
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि भारत के कानून मंत्री को मनमाने ढंग से लक्ष्मण रेखा खींचने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें संविधान के अनुच्छेद 13 को पढ़ना चाहिए. विधायिका कानून नहीं बना सकती है, न ही किसी कानून को क़ानून की किताब पर रहने दिया जा सकता है, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
किरण रिजिजू ने दिया जवाब
पी चिदंबरम के इन्हीं बयानों पर कानून मंत्री किरण रिजिजू की अब प्रतिक्रिया आई है. कानून मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि इसलिए नेहरू जी पहला संशोधन लाए और श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124ए को संज्ञेय अपराध बनाया? और अन्ना आंदोलन और अन्य भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों के दौरान नागरिकों को उत्पीड़न, धमकी और गिरफ्तारी के अधीन किया गया था?
दरअसल शीर्ष अदालत ने कल राजद्रोह कानून पर रोक लगाने का फैसला सुनाया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद किरण रिजिजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि "हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इरादे के बारे में अदालत को सूचित किया है. हम अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. लेकिन एक 'लक्ष्मण रेखा' है. जिसका सम्मान सभी अंगों द्वारा किया जाना चाहिए. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का सम्मान करें.
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