दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामला केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच खींचतान की वजह बना हुआ है. कुछ दिन पहले ऐसी खबर आ रही थी कि ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) को कांग्रेस का साथ मिला है, लेकिन इस खबर के आने के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस ने एक बयान जारी कर यह साफ कर दिया था कि वो केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ AAP के साथ नहीं हैं. अब ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस को विपक्षी एकता को ध्यान में रखते हुए केंद्र के खिलाफ AAP का समर्थन करना चाहिए या नहीं. लेकिन दिल्ली कांग्रेस के कई नेता इस बात के पक्ष में नहीं है कि कांग्रेस केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ AAP का साथ दे. NDTV ने इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजम माकन से खास बातचीत की....
"केजरीवाल भरोसे के लायक नहीं"
अजय माकन ने NDTV से कहा कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस को AAP का समर्थन क्यों नहीं देना चाहिए, इसके दो पहलू हैं. राजनैतिक पहलू है कि कांग्रेस समर्थन क्यों दे? AAP ने विधानसभा में एक रेजोल्यूशन पास किया जो राजीव गांधी जी के खिलाफ था. उस रेज़ोल्यूशन में कहा गया था कि राजीव गांधी जी का भारत रत्न वापस ले लेना चाहिए . और इन्होंने ये सब बीजेपी के समर्शन से ये किया. जम्मू कश्मीर के ऊपर जब बीजेपी कानून लेकर आई तो सारी विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही थी, लेकिन ये उनका सपोर्ट कर रहे थे.
"AAP ने कभी हमे सपोर्ट नहीं किया"
उन्होंने कहा कि उस दौरान बीजेपी के समर्थन में ये खड़े रहे. जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ इम्पीचमेंट का हम प्रस्ताव लेकर आए तो ये बीजेपी के साथ चले गए. यही नहीं जिस समय डिप्टी स्पीकर का राज्यसभा में चुनाव हुआ तो इन्होंने विपक्ष के कैंडिडेट का सपोर्ट नहीं किया. उस दौरान भी इन्होंने बीजेपी को फिर सपोर्ट किया. पंजाब में चुनाव हुए तो इनका खुद का कोई एमएलए नहीं था. कांग्रेस के एमएलए को तोड़ कर इन्होंने वहां कांग्रेस को हराने का काम किया . कौन सा ऐसा स्टेट है, जिसमें ये कांग्रेस को नुकसान और बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए कैंडिडेट नहीं खड़ा करते? गोवा और गुजरात में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाते हैं. हमने कांग्रेस की 40 दिन की सरकार में दिल्ली में समर्थन दिया और इन्होंने हमारे यूनियन मंत्री विरप्पा मोइली के खिलाफ एफआईआर कर दी. तो कैसे इनपर भरोसा करें.
"ये जो पीएम मोदी से मांग रहे हैं उसे तो सरदार पटेल भी मना कर चुके हैं"
माकन ने आगे कहा कि सीएम केजरीवाल ऐसे शोर मचा रहे हैं जैसे इन्ही के साथ इतना बड़ा अन्याय हो गया है. ये ऐसा साबित करने में लगे हैं कि इनसे पहले दूसरे मुख्यमंत्रियों के पास ट्रांसफर पोस्टिंग की पावर थी और सिर्फ इन्हीं से छीन लिया गया है. लोगों को ये पता होना चाहिए कि आज से पहले आजादी से लेकर अब तक ट्रांसफर पोस्टिंग की पावर दिल्ली के सीएम को नहीं दी गई थी. इसका निर्णय अभी नहीं किया गया.
दिल्ली सिर्फ स्टेट या यूटी नहीं देश की राजधानी भी है
बाद में 1951 सरदार पटेल एक्ट लेकर आए और सिर्फ दिल्ली के लिए उन्होंने कहा कि इसमें चीफ कमिश्नर के पास पावर होनी चीहए सीएम के पास नहीं. पंडित नेहरू ने 1956 में उन्होंने पावर केंद्र के पास रखी. लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 और 65 के अंदर उन्होंने भी इस चीज को किया. बाद में पीएम नरसिम्हा राव ने भी ऐसा ही किया. इसकी एक वजह है और वो वजह ये है कि दिल्ली न केवल स्टेट या यूटी है वो देश की राजधानी है. जहां पर राजधानी है वहां पर ये बात नहीं होती क्योंकि देश की राजधानी के ऊपर जितना हिस्सा दिल्ली वालों का है उतना है अन्य राज्यों का भी है. दुनिया भर में कहीं पर भी राष्ट्र की राजधानी में सभी पावर स्टेट के पास नहीं होते हैं जिसकी ये मांग कर रहे हैं.
"हर जगह पावर चुनी हुई सरकार पर नहीं होती"
उन्होंने आगे कहा कि हमेशा चाहे वो कार्पोरेशन रही हो चाहे काउंसिल रही हो, हर एक के अंदर एक चीज़ कॉमन है. वो ये है कि ट्रांस्फर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को नहीं है. इसका कारण है कि जो डूवल अथॉरिटी होती है वहां पर लड़ाइयां होती है. यहां पर हमारी एंबेसी है. ऐसी जगह पर डूवल पावर नहीं होनी चाहिए. यहां पर पार्लियामेंट भी है और स्टेट असेंबल भी है. इस वजह से दिल्ली के अंदर केंद्र की पावर है. हर जगह पावर चुनी हुई सरकार पर नहीं होती, नेशनल कैपिटल में जो व्यक्ति इस समय केजरीवाल का सपोर्ट कर रहा है. वो नेहरू अंबेडकर शास्त्री का विरोध कर रहा है क्योंकि इन्होंने इनका डिमांड को हर बर मना किया है.
"AAP सिर्फ बीजेपी को फायदा पहुंचाती है"
बीजेपी के साथ होने के सवाल पर अजय माकन ने कहा कि गुजरात में आप जब हमारे खिलाफ चुनाव लड़ा रहे थे तो किसके साथ थे, दिल्ली में शीला दिक्षित जी को बदनाम कर रहे थे तो ये आप वाले किसके साथ थे? गोवा, पंजाब में किसके साथ थे ? जब दिल्ली में केजरीवाल नाम का जंतु आया है तब से बीजेपी जीतती आ रही है. एक राज्य बता दें जहां इन्होंने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया हो, हर राज्य में ये सिर्फ कांग्रेस को नुसान पहुंचाते हैं. सेंट्रल लीडरशिप से बातचीत का सवाल है तो हमने अपनी बात सबको बताई है. दूसरे और राज्य में भी जहां आप ने कांग्रसे को नुकसान पहुचाया है. वहां के नेताओं से लगातार हम संपर्क में हैं, सबका मानना है कि ऐसी पार्टी के साथ हमें खड़े नज़र नहीं आना चाहिए.
"बीजेपी से मुकाबले के लिए मजबूत नेशनल पार्टी चाहिए"
अजय माकन ने कहा कि ये कैसे संभव है कि हम लोकसभा की बात करें और विधानसभा की न करें. दिल्ली के अंदर 2024 में अगर लोकसभा है तो 2025 में विधानसभा भी है. तो क्या लोगों को हम इतना बेवकूफ समझते हैं कि वो हमारे खिलाफ चुनाव लड़ते आ रहे हैं, क्या ये दिल्ली में टिकट मागेंगे. एक चीज़ सभी विपक्षी पार्टियों को समझनी चाहिए कि बीजेपी एक नेशनल पार्टी है उसका अगर लंबे समय के लिए मुकाबला करना है. तो उसके लिए एक मजबूत नेशनल पार्टी होनी ज़रूरी है और वो मजबूत पार्टी कांग्रेस है. जब तक आप कांग्रेस को कमज़ोर करके.विपक्षी एकता की बात करोगे तो वो कामयाब नहीं होगा. वो बीजेपी को ही फायदा पहुंचाएगी.
2024 के बाद सब कुछ खत्म थोड़ी हो रहा है
2024 के बाद दुनिया खत्म नहीं हो रही और अगर विपक्ष को बीजेपी का मुकाबला करना है तो बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत नेशनल विपक्षी पार्टी खड़ी करनी होगी. वो पार्टी कांग्रेस है जो बीजेपी के खिलाफ खड़ी हो सकती है बांकी पार्टियां साथ में लगें तो बीजेपी का मुकाबला हो सकता है.
"कांग्रेस को ऐसे व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए"
आज चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, आगे के राज्यों में कांग्रेस की जीतने की स्थिति है. आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि कंग्रेस मजबूत नहीं. अगर अन्य राज्यों में भी कांग्रेस आ जाती है, तो हम 150 क्रास कर जाएंगे. 2024 सिर्फ नहीं बस कांग्रेस को मजबूत होने दो हमारा मानना है कि ऐसा व्यक्ति जिसने बीजेपी के साथ हमेशा हाथ मिलाया, जिसने क्रुशियल इशु पर भाजपा को समर्थन दिया हो, जिसने जस्टिस लोया के मसले पर बीजेपी को समर्थन दिया, राजीव गांधी के भारत रत्न वापस पर बीजेपी का साथ देते हैं, तो ऐसे व्यक्ति पर कैसे भरोसा कर सकते हैं.