विद्यार्थियों को नौकरी के लिहाज से हुनरमंद बनाने की जरूरत : धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सिंगापुर ने अपने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में कौशल को शामिल किया है और अपने विद्यार्थियों को नौकरी के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और भारत इसे अपनाना चाहता है. 

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धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भविष्य में नौकरियां आज से बहुत अलग होने वाली हैं. (फाइल)
भुवनेश्वर :

भारत और सिंगापुर के प्रतिनिधियों ने यहां जी-20 की एक बैठक में दोनों देशों में कौशल और शिक्षा के क्षेत्र में अपनाई गई सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को लेकर मंगलवार को चर्चा की. साथ में भविष्य की जरूरतों के अनुरूप कार्यबल तैयार करने को लेकर भी विचार-विमर्श किया. जी20 की ‘शिक्षा कार्य समूह' की तीसरी बैठक से पहले ‘स्किल आर्किटेक्चर एंड गर्वनेंस मॉडल्स ऑफ इंडिया एंड सिंगापुर' पर कार्यशाला के तहत उक्त चर्चा की गई है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, भारत, सिंगापुर के साथ कौशल और शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाेत्तम पद्धतियों पर चर्चा कर रहा है. उन्होंने कहा कि साथ में यह भी सीख रहा है कि विद्यार्थियों को हुनरमंद करने और विद्यार्थियों को नौकरी की जरूरत के हिसाब से तैयार करने के तहत इन सर्वाेत्तम पद्धतियों को भारतीय संदर्भ में कैसे शामिल किया जाए. 

प्रधान ने कहा कि सिंगापुर ने अपने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में कौशल को शामिल किया है और अपने विद्यार्थियों को नौकरी के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और भारत इसे अपनाना चाहता है. 

मंत्री ने कहा, “भारत के पास बदले में देने के लिए प्रौद्योगिकी और ‘एडटेक' है. भविष्य में नौकरियां आज से बहुत अलग होने वाली हैं और हमें विद्यार्थियों को नौकरी के लिहाज़ से हुनरमंद करने की जरूरत है.”

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भारत और सिंगापुर के बीच यह संयुक्त कार्यशाला सिंगापुर की विशेषज्ञता और ज्ञान का लाभ उठाने पर केंद्रित है. साथ में यह भारतीय कौशल ‘इकोसिस्टम' को कुशल बनाने तथा उसमें बदलाव करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अनुभवों को साझा करने की सुविधा प्रदान पर भी केंद्रित है. 

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प्रतिनिधि तीन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा कर रहे हैं, जिनमें कौशल के लिए नए पाठ्यक्रम का विकास, उच्च शिक्षा में कौशल के ‘इकोसिस्टम' के लिए रूपरेखा और आजीवन कौशल के लिए अनिवार्य प्रशिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) और रूपरेखा शामिल है. 

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प्रधान ने कहा, “भारत और सिंगापुर मिलकर वैश्विक समुदाय के कल्याण को हकीकत बना सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह संयुक्त कार्यशाला कौशल का एक नया मॉडल बनाने के लिए कार्रवाई योग्य परिणाम प्रदान करेगी, जो आकांक्षाओं को पूरा करेगी और दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित करेगी.”

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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