1947 से अब तक सुप्रीम कोर्ट के करीब 37 हजार फैसलों का हिंदी में अनुवाद : CJI चंद्रचूड़

संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी, असमिया, बंगाली, बोडो और डोगरी सहित 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है. प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों से सुनवाई के दौरान ‘इलेक्ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट’ (ई-एससीआर) से निर्णयों के ‘‘तटस्थ उद्धरण’’ देने का भी आग्रह किया.

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नई दिल्ली:

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि आजादी के बाद से उच्चतम न्यायालय के लगभग 37 हजार फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया है और अब उनका अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की प्रक्रिया जारी है.
प्रधान न्यायाधीश ने यह बात एक मामले की सुनवाई के दौरान कही. उनके साथ पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी थे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हिंदी के बाद ‘‘अब तमिल सबसे आगे है.'' उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत अपने फैसलों का संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की प्रक्रिया में है.

संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी, असमिया, बंगाली, बोडो और डोगरी सहित 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है. प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों से सुनवाई के दौरान ‘इलेक्ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट' (ई-एससीआर) से निर्णयों के ‘‘तटस्थ उद्धरण'' देने का भी आग्रह किया.

शीर्ष अदालत ने 2023 में वकीलों, कानून के छात्रों और आम जनता को अपने निर्णयों तक नि:शुल्क पहुंच प्रदान करने के लिए ई-एससीआर परियोजना शुरू की थी. वकील ई-एससीआर का उपयोग करते हुए सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों के समर्थन में पिछले निर्णयों का हवाला देते हैं.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कृपया (मामलों के) तटस्थ उद्धरणों को संदर्भित करने के लिए हमारे ई-एससीआर का उपयोग करें.''उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसलों का अनुवाद अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की मदद से क्षेत्रीय भाषाओं में किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे देश भर की जिला अदालतों तक पहुंच सकें. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अंतिम अनुवाद की समीक्षा मानवीय हस्तक्षेप के माध्यम से की जाती है.

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अनुवाद में मानवीय हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने एआई की सीमा का उल्लेख किया और कहा कि यह ‘‘लीव ग्रांटेड'' का अनुवाद ‘‘अवकाश प्राप्त हुआ'' के रूप में करती है. कानूनी भाषा में ‘‘लीव'' का मतलब अकसर किसी वादी को किसी विशेष उपाय का सहारा लेने के लिए अदालत की अनुमति देना होता है.

शीर्ष अदालत ने ई-एससीआर परियोजना शुरू करते समय कहा था कि फैसले शीर्ष अदालत की वेबसाइट, इसके मोबाइल ऐप और राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के निर्णय पोर्टल पर उपलब्ध होंगे. ई-एससीआर परियोजना शीर्ष अदालत के निर्णयों का डिजिटल संस्करण प्रदान करने की एक पहल है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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