जब 45 पर तपते हैं सब, तब 20-36 डिग्री पर कूल क्यों रहती है IIT धारवाड़ की बिल्डिंग, समझिए   

भीषण गर्मी के दौरान जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाता है, आईआईटी धारवाड़ में तापमान आसपास की तुलना में बहुत कम रहता है. आईआईटी धारवाड़ के प्रोफेसर अमरनाथ हेगड़े ने इस बारे में विस्‍तार से बताया.

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आईआईटी धारवाड़ के कैंपस में 60 एकड़ का प्राकृतिक जंगल है.
नई दिल्‍ली:

देश में साल दर साल तापमान नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है. जब भीषण गर्मी पड़ती है और तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाता है, तब भी आईआईटी धारवाड़ (IIT Dharwad) में अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा नहीं होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आईआईटी धारवाड़ की बिल्डिंग में ऐसी क्‍या खासियत है, जिसके कारण वहां मौजूद लोगों को भीषण गर्मी में भी ज्‍यादा परेशान नहीं होना पड़ता है. इसे लेकर एनडीटीवी इंडिया के टेलिथॉन के दौरान प्रोफेसर अमरनाथ हेगड़े ने खुलासा किया और बताया कि आईआईटी धारवाड़ की बिल्डिंग आखिर क्‍यों भीषण गर्मी में भी कूल रहती है.

आईआईटी धारवाड़ देश की पहली ग्रीन और सस्‍टेनेबल आईआईटी है, जिसके अंदर ही कैंपस में 60 एकड़ का प्राकृतिक जंगल है और 5 हजार से ज्‍यादा पेड़ होने के कारण तापमान बाहर की अपेक्षा यहां पर कम रहता है. आईआईटी धारवाड़ में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही चार तालाब बनाने का काम भी चल रहा है. कैंपस की हर बिल्डिंग में सोलर पैनल लगाया गया है. साथ ही विंड पावर के जरिए बिजली आईआईटी धारवाड़ को मिलती है. गर्मी से बचाव और तापमान को कम करने के लिए यहां टेरिकोटा की टाइलें भी बहुत मददगार साबित हो रही हैं. 

आईआईटी धारवाड़ के प्रोफेसर अमरनाथ हेगड़े ने एनडीटीवी से कहा कि हमारा कैंपस करीब 500 एकड़ में बना है और इसमें 60 एकड़ में जंगल है. उन्‍होंने बताया कि आईआईटी धारवाड़ का मास्‍टर प्‍लान जंगल को सुरक्षित रखते हुए इस तरह से बनाया गया है कि किसी भी पेड़ को नुकसान न पहुंचे. साथ ही उन्‍होंने बताया कि यहां के प्राकृतिक स्थिति का प्रयोग कर हमने यहां पर तालाब बनाए हैं, जो भी पानी आता है वो सीधा इन तालाबों तक पहुंचता है. 

20 से 36 डिग्री सेल्सियस तक रहता है तापमान 

प्रोफेसर अमरनाथ हेगड़े ने बताया कि आईआईटी धारवाड़ के कैंपस में पूरे साल भर में तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 36 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. भीषण गर्मी में भी यहां पर तापमान 36 डिग्री से ज्‍यादा नहीं होता है. 

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उन्‍होंने कहा कि कैंपस में जंगल है और दूसरा धारवाड़ भौगोलिक रूप से काफी ऊंचाई पर आता है. समुद्र तल से यह 750 मीटर ऊपर स्थित है. इसके साथ ही जंगल और हमने यहां पर जो व्‍यवस्‍था अपनाई है, उससे तापमान हमेशा कंट्रोल में रहता है. 

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भीषण गर्मी में भी इसलिए कम रहता है तापमान 

उन्‍होंने आईआईटी धारवाड़ की बिल्डिंग को इस तरह से बनाया गया है, जिससे कि यहां पर वेंटिलेशन सबसे अच्‍छा हो. विंडो साइड और विंडो का डायरेक्शन ऐसा चुना है कि हमेशा बिल्डिंग के अंदर एयर सर्कुलेशन होता रहता है. साथ ही बिल्डिंग के अंदर सूरज की रोशनी हर जगह आती है, जिससे बल्‍ब का प्रयोग कम होता है. साथ ही एसी का भी कम प्रयोग होता है. इन सभी कारणों से बिल्डिंग में तापमान मेंटेन रहता है. साथ ही यहां हल्‍के रंग से बिल्डिंग को पेंट किया गया है, उसके कारण भी तापमान कम रहता है. यहां पर जो सूरज की किरणें आती हैं वो रिफलेक्‍ट हो जाती हैं. 

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