रियल एस्टेट के आए 'अच्छे दिन', केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर कैसे हो रहा है काम

क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम को लेकर हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "हमारे हिसाब से उस समय 45 लाख का कैप उपयुक्त था. ये तय सीमा के लिए था. अब आने वाले समय में इस स्कीम में क्या कैप रखा जाएगा या नहीं रखा जाएगा... इस बारे में अभी तय नहीं किया गया है. इसपर काम हो रहा है."

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नई दिल्ली:

रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) ने हाल-फिलहाल कई मुश्किल सालों का सामना किया है. पिछले कुछ सालों के दौरान इस सेक्टर को एक के बाद एक कई झटके लगे हैं. नोटबंदी, जीएसटी, रेरा, कोरोना महामारी और रियल एस्टेट डेवलपरों के डिफॉल्ट ने पूरे सेक्टर को लंबे समय तक परेशान किया. हालांकि, कोरोना के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल आया है. अब ऐसा लग रहा है कि रियल एस्टेट सेक्टर के अच्छे दिन ज्यादा दूर नहीं रह गए हैं. हाल के दिनों में सेक्टर के लिए स्थितियां तेजी से सुधरी हैं. NDTV के Real Estate Conclave में केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने इन्हीं बातों की ओर इशारा किया.

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने NDTV के रियल एस्टेट कॉनक्लेव में कहा, "दिल्ली-एनसीआर यानी गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा और नोएडा, नोएडा एक्सटेंशन और गाजियाबाद में रियल एस्टेट सेक्टर में काफी उछाल आया है. रियल एस्टेट एक ऐसा सेक्टर है, जहां अगर चीजें अच्छी होंगी, तो वे वाकई में अच्छा रिजल्ट देंगी. हमारे परंपरागत समस्याओं यानी प्री- रेरा की जो स्थिति थी, उसमें तमाम खामियां थी. पहले होम बायर्स अपनी सारी जिंदगी की जमा-पूंजी बिल्डर को दे देते थे. उनके हिस्से में इसके बाद सिर्फ इंतजार करना रह जाता था. लेकिन हमने नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई और इन समस्याओं के निपटारे का सुझाव मांगा. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है. जिसपर मंथन चल रहा है. उम्मीद है जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा."

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अटके पड़े प्रोजेक्ट्स और घरों की रुकी हुई रजिस्ट्री को लेकर पूछे गए सवाल पर हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "ऐसा दो कारणों से हो सकता है. पहला- अगर रियल एस्टेट सेक्टर अच्छा काम नहीं कर पा रहा हो. या भी इंवेंट्रीज का डाउनग्रेड हो रहा है. इसके अलावा सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर यानी सड़क, बिजली, पानी और साफ-सफाई भी एक फैक्टर हो सकता है, जिस वजह से प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं." 

केंद्रीय मंत्री ने बताया, "हमारी मेट्रो लाइन अभी 807 किलोमीटर है. आने वाले समय में हम इसे 950 या 980 किलोमीटर और बढ़ाएंगे. जहां पर मेट्रो जाएगी, वहां के आसपास लास्ट माइल कनेक्टिविटी होगी. ये निरंतर चलते रहने वाला प्रोसेस है. मैं रियल एस्टेट में बहुत ग्रोथ की उम्मीद करता हूं. टियर 1 और टियर 2 शहरों में इस सेक्टर में अच्छा उछाल देखा जा रहा है."

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क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम को लेकर हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "हमारे हिसाब से उस समय 45 लाख का कैप उपयुक्त था. ये तय सीमा के लिए था. अब आने वाले समय में इस स्कीम में क्या कैप रखा जाएगा या नहीं रखा जाएगा... इस बारे में अभी तय नहीं किया गया है. इसपर काम हो रहा है."

रेसिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा रहा पिछला साल
बता दें कि पिछला साल रेसिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा साबित हुआ था. साल 2022 के दौरान रेसिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर में नई बिक्री का नया रिकॉर्ड बन गया. इस दौरान बिक्री में 68 फीसदी की शानदार ग्रोथ दर्ज की गई. अच्छी बात यह रही कि छोटे व मंझोले शहरों से अच्छी मांग निकलकर आने लगी है, जो बेहतर भविष्य का सबसे मजबूत इशारा है. बड़े शहरों का ट्रेंड भी अच्छा है. एनारॉक की एक रिपोर्ट बताती है कि 2023 की पहली तिमाही के दौरान देश के सात बड़े शहरों में घरों की मांग बढ़कर 1.14 लाख यूनिट पर पहुंच गई, जो साल भर पहले 99,500 यूनिट रही थी. वहीं नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि देश के 8 बड़े शहरों में पिछले वित्त वर्ष के दौरान घरों की बिक्री 34 फीसदी बढ़ी.

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बड़े घरों की डिमांड ज्यादा
एनारॉक की ही एक अलग रिपोर्ट बताती है कि देश में नए घरों की जो डिमांड आ रही है, वह बड़े घरों की ज्यादा है. पिछले पांच सालों के दौरान नए घरों का साइज 7 फीसदी बढ़ा है. देश के सात बड़े शहरों में घरों का औसत साइज अब बढ़कर 1,225 वर्गफीट हो गया है, जो 2018 में करीब 1,150 वर्गफीट हुआ करता था.

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विदेशी निवेश भी बढ़ा
रियल एस्टेट सेक्टर के लिए निवेश एक बड़ी समस्या बन गई थी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब इस मामले में भी दिक्कतें दूर होने वाली हैं. साल 2017 से 2022 के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने इसमें 26.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.

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