छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Assembly Elections 2023)में 90 सीटें हैं. इन सीटों में 2 चरण में मतदान करवाया जा रहा है. पहले चरण में 7 नवंबर को नक्सल प्रभावित 20 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इसके बाद दूसरे फेज में 17 नवंबर को बचे 70 सीटों पर मतदान होने हैं. मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के नेतृत्व में कांग्रेस (Congress) सरकार को अपनी तमाम कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा है. वहीं, बिना CM फेस के मैदान में उतरी बीजेपी (BJP) को PM मोदी (PM Narendra Modi) के चेहरे और एंटी इन्कम्बेन्सी (सत्ता विरोधी लहर) के सहारे सत्ता में वापसी की आशा है. ऐसे में सवाल है कि इस चुनाव में मुख्य मुद्दे क्या हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे? क्या साल 2018 में भारी बहुमत से सत्ता में आई भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel) 2023 में भी खुद को रिपीट कर पाएंगी? या बीजेपी सत्ता में वापसी करेगी?
इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए NDTV ने CSDS-Lokniti के साथ मिलकर एक सर्वे किया है. जिसमें छत्तीसगढ़ के वोटर्स का मूड भांपने की कोशिश की गई है. ये सर्वे 24 से 30 अक्टूबर के बीच किया गया. जिसमें 25 विधानसभा क्षेत्रों में 2541 सैंपल साइज लिए गए.
सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या है?
सर्वे में शामिल लोगों से सबसे बड़े चुनावी मुद्दे के बारे में सवाल किया गया था. राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी महंगाई और बेरोजगारी सबसे बड़े चुनावी मुद्दे हैं. छत्तीसगढ़ की 25 विधानसभा क्षेत्रों में किए गए सर्वे के मुताबिक, 28% लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा माना है. 14% लोगों की राय में महंगाई या बढ़ती कीमतें सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. 12% लोग गरीबी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं. वहीं, सर्वे में शामिल 8% लोगों ने पेयजल संकट को बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं. 6% लोगों के लिए विकास में कमी एक मुद्दा है. नाखुश किसान के लिए सोचने वाले 6% लोगों ने भी इसे सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा माना. वहीं, 26 फीसदी लोगों ने अन्य मुद्दों पर अपनी राय दी.
नक्सल समस्या के मुकाबले गोरक्षा बड़ा चुनावी मुद्दा?
इस सर्वे में शामिल लोगों से कुछ मुद्दों पर उनकी राय मांगी गई थी. इसके नतीजे हैरान करने वाले हैं. सर्वे में शामिल 71% लोग गोरक्षा को आरक्षण और नक्सल समस्या से बड़ा मुद्दा मानते हैं. 61% लोगों ने आरक्षण को एक बड़ा मुद्दा माना है. 52 फीसदी लोगों का मानना है कि भर्ती घोटाला एक मुद्दा है. जबकि 31 फीसदी लोग नक्सल समस्या को बड़ा मुद्दा मानते हैं.
महंगाई पर लोगों की राय
इस सर्वे में शामिल लोगों से बढ़ती महंगाई को लेकर भी सवाल किए गए. सर्वे में शामिल 76% लोगों ने माना कि पांच साल में महंगाई बढ़ी है. 10% लोगों ने कहा कि भूपेश सरकार में महंगाई पहले से घटी है. सिर्फ 12 फीसदी लोगों का मानना है कि महंगाई पहले जैसे ही है.
बेरोजगारी पर क्या है राय?
इस सर्वे में शामिल लोगों से बेरोजगारी को लेकर भी सवाल किए गए. 40% लोगों ने माना कि भूपेश बघेल सरकार में बेरोजगारी बढ़ी है. 20% लोगों ने कहा कि बेरोजगारी पहले के मुकाबले कम हुई है. जबकि 35% लोगों का कहना है कि बेरोजगारी पहले जैसी ही है.
भ्रष्टाचार पर बघेल सरकार का काम कैसा?
भ्रष्टाचार को लेकर भी सर्वे में शामिल लोगों की राय जानी गई. भ्रष्टाचार पर बघेल सरकार का काम कैसा है? इसके जवाब में 62% लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार बढ़ा है. 13% लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार पहले से कम हुआ है. जबकि 21% लोगों का कहना था कि भ्रष्टाचार पहले जैसा ही है.
छत्तीसगढ़ में जातिगत गणना होनी चाहिए या नहीं?
क्या बिहार की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी जातिगत गणना होनी चाहिए? इस सवाल के जवाब में 67% लोगों ने 'हां' कहा. जबकि 19% लोगों ने 'नहीं' में जवाब दिया. 14 फीसदी लोगों ने इस सवाल के जवाब में 'पता नहीं' ऑप्शन चुना.
भूपेश बघेल सरकार के काम से कितने संतुष्ट?
सर्वे में लोगों से सवाल किया गया कि क्या वो भूपेश बघेल सरकार के कामों से संतुष्ट है? जवाब कांग्रेस के लिए पॉजिटिव है. भूपेश सरकार के साथ राज्य की 79 फीसदी जनता है. राज्य के सिर्फ 34 फीसदी मतदाता ही भूपेश सरकार से पूरी तरह संतुष्ट हैं. उनकी सरकार से कुछ हद तक संतुष्ट मतदाताओं का प्रतिशत 45% रहा. 9 फीसदी उत्तरदाता कांग्रेस सरकार से पूरी तरह असंतुष्ट है. जबकि पूरी तरह असंतुष्ट उत्तरदाताओं की संख्या 10 फीसदी है.
80 फीसदी जनता केंद्र के काम से खुश
सर्वे का दूसरा अहम सवाल केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार से जुड़ा था. सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया था कि केंद्र सरकार के कामकाज से आप कितना संतुष्ट हैं? इसका जवाब दिलचस्प है. उत्तर देने वालों में से 42 फीसदी पूरी तरह संतुष्ट और 38 फीसदी कुछ हद तक संतुष्ट हैं. यानी मोटे तौर पर देखा जाए, तो मोदी सरकार के काम को लेकर 80 फीसदी जनता संतुष्ट है. ये आंकड़ा भूपेश सरकार के लिए थोड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है. इसी सवाल के जवाब में कुछ हद तक असंतुष्ट उत्तरदाताओं की संख्या 11 और असंतुष्ट उत्तरदाताओं की संख्या 6 फीसदी है.
बघेल सरकार में आदिवासियों की स्थिति सुधरी या बिगड़ी?
NDTV-CSDS Lokniti के सर्वे में छत्तीसगढ़ की जनता से ये भी पूछा गया कि मौजूदा बघेल सरकार के कार्यकाल में आदिवासियों की स्थिति सुधरी या बिगड़ी. इसके जवाब में 45 फीसदी उत्तरदाताओं ने सुधार की बात और 21 फीसदी ने बिगड़ने की बात कही. मतलब यहां भी भूपेश सरकार पास कर गई. वहीं, नक्सल समस्या को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में 30 फीसदी ने कहा हालात में सुधार आया है. 22 फीसदी ने आदिवासियों की स्थिति बिगड़ने की बात मानी. यहां भूपेश सरकार खुश हो सकती है.
इस सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि नक्सल समस्या पर स्थिति सुधरी या बिगड़ी? 30% लोगों ने कहा कि बघेल सरकार में नक्सल समस्या सुधरी है, जबकि 22% लोगों ने कहा कि नक्सल समस्या बिगड़ी है. किसानों के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर 61% लोगों ने कहा कि किसानों की हालत पहले से ज्यादा अच्छी हुई है, जबकि 20% लोगों ने माना कि किसानों की स्थिति बिगड़ी है.
सड़कों, बिजली और पानी के मुद्दे पर कैसा रहा बघेल सरकार का काम?
इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर पूछे गए सवाल पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली. 56% लोगों ने माना कि बघेल सरकार में सड़कों पर काम हुआ है. जबकि 27% लोगों ने माना कि सड़कों की मरम्मत को लेकर कोई काम नहीं हुआ. इनकी हालत पहले से ज्यादा बिगड़ गई. सर्वे में शामिल 64% लोगों ने कहा कि बघेल सरकार में बिजली सप्लाई सुधरी है, जबकि 17% लोगों का कहना था कि बिजली की सप्लाई पहले के मुकाबले बिगड़ी है. 53% लोगों का कहना था कि पानी की सप्लाई में सुधार आया है, जबकि 26% लोगों ने कहा कि बिजली सप्लाई पहले के मुकाबले बिगड़ गई है.
सरकारी अस्पतालों और स्कूलों की स्थिति सुधरी या बिगड़ी?
सर्वे में शामिल 56% लोगों ने कहा कि बघेल सरकार में सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधरी है. 22% लोगों ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की हालत पहले से ज्यादा खराब हुई है. 64% लोगों ने कहा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति पांच सालों में सुधारी है. 17% लोगों ने कहा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति पहले के मुकाबले खराब हुई है.
महिलाओं के लिए किसने बेहतर काम किया?
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए केंद्र या राज्य सरकार में किसने बेहतर काम किया? इस सवाल के जवाब में जनता केंद्र और राज्य सरकार दोनों के साथ जाती दिखी. सर्वे में शामिल 18 फीसदी लोगों ने कहा कि राज्य की बघेल सरकार ने महिलाओं के लिए बेहतर काम किया है. सर्वे में शामिल 29 फीसदी लोगों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए बेहतर काम किया है.
39 फीसदी लोगों ने कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार और राज्य की कांग्रेस सरकार दोनों ने ही महिलाओं के लिए बेहतर काम किया है. सर्वे में शामिल सिर्फ 7 फीसदी लोगों ने केंद्र और राज्य में किसी के काम पर अपनी राय नहीं दी. यानी 7 फीसदी लोगों का मानना है कि केंद्र या राज्य सरकार में किसी ने महिलाओं के लिए बेहतर काम नहीं किया है.
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