देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि भारत के लोकतंत्र के रचयिता यानी मतदाता पहले से कहीं ज्यादा मैच्योर हो चुके हैं. आज के वोटर्स को पता है कि उन्हें क्यों वोट करना है. लोकसभा चुनाव 2024 का जिक्र करते हुए CEC राजीव कुमार ने कहा, "10.5 लाख पोलिंग बूथ, 1960 मिलियन वोटर्स. दुनिया में एकमात्र के पास ही इतना बड़ा लॉजिस्टिक है. भारत के वोटर्स आज मैच्योर हो चुके हैं. ये इस बात का संकेत है कि भारत अपने मामले बैलेट के जरिए खुद सुलझा सकता है. भारत बैलेट जरिए शांतिपूर्ण तरीके से अपने मामले सुलझा सकता है. हमें बुलेट की जरूरत नहीं है."
हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में शहरी इलाकों में कम वोटिंग पर CEC ने हैरानी भी जताई. उन्होंने कहा, "हमने जान लगा दी थी, लेकिन फिर भी शहरी इलाकों में कम वोटर्स बूथ तक पहुंचे."
CEC राजीव कुमार ने कहा, "वोटिंग के दौरान कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिससे मन उदास हो जाता है. जम्मू-कश्मीर, LW एरिया और शहरों में लोग वोटिंग करने बूथ तक आना जरूरी नहीं समझते. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, सबसे कम वोटिंग एरिया शहरी क्षेत्रों में ही हैं. हमने लोकसभा चुनाव के दौरान पूरी जान लगा दी, लेकिन बंगलौर में वोटिंग पर्सेंटेज नहीं बढ़ा. महाराष्ट्र के कोलाबा में भी सबसे कम वोटिंग हुई. हमने गुरुग्राम में जान लगाई. इस बार सोसाइटी में जाकर पोलिंग स्टेशन बनाए. ताकि लोग बस नीचे आ जाएं और वोट करें. फिर भी कम वोटिंग रिकॉर्ड हुई."
NDTV इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स 2024 में पहुंचे CEC राजीव कुमार ने बताया, "भारत में लोकतंत्र को जिंदा रखने का क्रेडिट प्रिसाइडिंग ऑफिसर यानी चुनाव अधिकारियों को जाता है. चुनाव आयोग इन्हीं की वजह से काम कर पाता है. भारत में साढ़े 10 लाख पोलिंग बूथ हैं. हर बूथ पर करीब-करीब 4 से 5 प्रिसाइडिंग ऑफिसर के साथ बाकी चुनाव कर्मी होते हैं. यानी 10.5x5x5= 55 लाख चुनाव कर्मी. इन चुनाव कर्मियों में टीचर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, कृषि विभाग के कर्मी समेत बाकी डिपार्टमेंट के लोग शामिल होते हैं. इन सभी को इलेक्शन ड्यूटी के लिए रैंडम चुना जाता है."
CEC ने कहा, "चुनावी ड्यूटी के लिए कई अधिकारी अपना परिवार भी साथ लेकर गए थे. कइयों की ड्यूटी दूर-दराज के इलाकों में लगी थी. जहां तक पहुंचने के लिए उन्हें जंगलों से होकर गुजरना पड़ा. चुनाव के दौरान देश का वर्कफोर्स साथ आ जाता है. यही भावना हमारे लोकतंत्र को जिंदा रखे हुए है."
कार्यक्रम में पोलिंग बूथ अधिकारियों और चुनाव कर्मियों को NDTV 'इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2024' से सम्मानित किया गया. पोलिंग बूथ अधिकारी टिकेश कुमार साहु ने बस्तर डिविजन में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान को लेकर अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि नक्सल क्षेत्र होने के कारण मतदान के लिए मुझे तीन दिन पहले घर से निकला पड़ा. हेलीकॉप्टर से ड्रॉप किया गया. 5 किलो मीटर जंगल में पैदल चलना पड़ा. यहां नक्सलियों के ड्रोन के निशाने पर थे. लेकिन सुरक्षा बलों के कारण हम यहां शांति से मतदान करा पाएं.
इस दौरान पोलिंग बूथ अधिकारी सूरज सिंह ने कहा कि बूथ बहुत उंचाई पर था, जहां ग्लेशियर से हमे जाना था. वहां बिजली की सुविधा नहीं थी. वहां बर्फबारी हो रही थी. भाषा को लेकर समस्या आ रही थी. लेकिन वहां सफलतापूर्वक मतदान हुआ.