कॉकपिट में NDTV: जानिए यहां क्या होता है, क्रैश प्लेन के आखिरी लम्हों में समझिए क्या हुआ होगा

अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद हमने एक ट्रेंड कमर्शियल पायलट से सिम्‍युलेटर के जरिए यह जानने की कोशिश की कि विमान दुर्घटना के आखिरी लम्‍हों में क्‍या हुआ होगा. 

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्‍ली :

अहमदाबाद में दर्दनाक विमान हादसे से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया तक सकते में है. इस हादसे को लेकर हर किसी के मन में यह सवाल है कि आखिरी वक्‍त पर ऐसा क्‍या हुआ कि पूरा विमान अचानक से नीचे आ गया. एनडीटीवी की टीम कॉकपिट में पहुंची और यह जानने की कोशिश की कि एक विमान की उड़ान के दौरान पायलट क्‍या करता है और कैसे वह आपात स्थिति से निपटता है. साथ ही एक ट्रेंड कमर्शियल पायलट से सिम्‍युलेटर के जरिए हमने यह जानने की कोशिश की कि विमान दुर्घटना के आखिरी लम्‍हों में क्‍या हुआ होगा. 

3. किस आधार पर सेट होता है फ्लैप्‍स?

इससे विमान में फ्लैप्‍स की अहमियत को साफ तौर पर समझा जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि फ्लैप्‍स को आमतौर पर मूल रूप से मैन्‍युअली ही सेट किया जाता है. यह सेटिंग मौसम, वजन और अन्‍य अहम जानकारियों के आधार पर होती है और यही कारण है कि यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण होता है.   

Advertisement

4. कब किया जाता है मेडे कॉल?

अहमदाबाद विमान हादसे में पायलट ने ट्रैफिक कंट्रोलर को मेडे कॉल किया था. शेलार ने एनडीटीवी को मेडे कॉल की पूरी प्रक्रिया बताई. उन्‍होंने कहा कि मेडे कॉल का मतलब है कि बहुत बड़ी इमरजेंसी है. यदि कोई इमरजेंसी है या कोई खराबी है तो यह आपको एयरक्राफ्ट की स्‍क्रीन पर यह दिख जाता है कि विमान में कहां पर क्‍या हुआ है. आपको पता चलेगा तो आप मदद करेंगे, लेकिन जब आपको लगता है कि यह स्थिति नियंत्रण से परे है तो आप उसी वक्‍त एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को बताते हैं कि हम अभी इमरजेंसी स्थिति में हैं.  

Advertisement

5. एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को करते हैं मेडे कॉल  

उन्‍होंने बताया कि एक पायलट हर वक्‍त एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के साथ कनेक्‍टेड रहता है. टेक ऑफ करते वक्‍त इस बात की बहुत संभावना होती है कि हम टावर के साथ ही कनेक्‍टेड रहते हैं. टेक ऑफ के बाद यदि कोई इमरजेंसी हुई है तो हम मेडे कॉल उसी को देंगे और उसे ही बताएंगे कि इमरजेंसी हैं. 

Advertisement

6. पायलट इस तरह से करते हैं मेडे कॉल 

मेडे कॉल एक कॉकपिट में स्विच होता है और उसको दबाने के बाद हम अपना मैसेज ट्रांसमिट करते हैं कि नेचर ऑफ इमरजेंसी क्‍या है और यह क्‍यों हुआ है और हमें अब क्‍या चाहिए. यह हम रेडियो के जरिए एक निश्चित फ्रीक्‍वेंसी पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को बताते हैं. इसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोलर सभी इमरजेंसी सेवाओं को अलर्ट कर देता है, आसपास उड़ान भर रहे विमानों को डायवर्ट कर देगा और रनवे क्लियर करवा देता है. साथ ही आपको हाइएस्‍ट प्रायोरिटी पर डालेगा और आपकी मदद करेगा. 

7. विमान में सबसे खास है प्राइमरी फ्लाइट डिस्‍प्‍ले 

विमान के बारे में जानकारी देते हुए पुष्‍कर शेलार ने बताया कि विमान में सबसे मुख्‍य प्राइमरी फ्लाइट डिस्‍प्‍ले है, जहां पर हमें एयरक्राफ्ट की एयर स्‍पीड नजर आती है. साथ ही एयरक्राफ्ट कितनी ऊंचाई पर उड़ रहा है, वह कितना रोल कर रहा है और कितना पिच कर रहा है, जैसी जानकारी भी देता है.  

8. इमरजेंसी सिचुएशन और एल्टीट्यूड 

शेलार ने कहा कि हर इमरजेंसी से डील करने के लिए पायलट को ट्रेंड किया जाता है. उन्‍होंने कहा कि अगर आप बहुत कम एल्टीट्यूड पर हैं तो आपके पास सोचने या रिएक्‍शन के लिए बहुत ही कम वक्‍त होता है क्‍योंकि आप कुछ फीट ही जमीन से ऊपर हैं. हालांकि इसकी तुलना में यदि आप काफी ऊंचाई पर हैं तो आपके पास में काफी समय होता है. इस दौरान आपके पास सोचने और रिएक्‍ट करने के लिए वक्‍त होता है. उन्‍होंने कहा कि इस केस में एल्टीट्यूड  इतना कम था कि उनके पास बहुत कम टाइम था. 

उन्‍होंने कहा कि विमान में खराबी आती है तो भी आपको पता चल जाएगा और एयर क्राफ्ट आपको खुद वॉर्न करता है. 

9. इमरजेंसी अलग, चेकलिस्‍ट अलग

उन्‍होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हर फेज ऑफ फ्लाइट के लिए अलग-अलग चेक लिस्‍ट है, जैसे टेकऑफ के लिए अलग चेकलिस्‍ट है तो ऑफ्टर टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए एक चेकलिस्‍ट है. हर एक इमरजेंसी सिचुएशन के लिए अलग चेकलिस्‍ट है, जिसे पायलट को फॉलो करना होता है.  

10. पायलट के पास था बहुत कम वक्‍त

उन्‍होंने कहा कि हमारे पास में किसी भी खराबी के वक्‍त एक चैकलिस्‍ट मौजूद होती है, लेकिन अहमदाबाद हादसे के  मामले में समय बहुत ही कम था और उन्‍होंने 100 फीसदी पायलट ने प्रोटोकॉल फालो करना ट्राय किया गया होगा, लेकिन दुर्भाग्‍पूर्ण रूप से नहीं हो पाया होगा. 

Featured Video Of The Day
Israel Iran War: इजरायल का साथ देने वाले देशों को ईरान ने दी खुली चेतावनी | Ali Khamenei