NDTV GST Conclave: केंद्र सरकार नोटों से भरा सूटकेस लेकर नहीं बैठी है... जानें वित्त मंत्री ने किस बात पर कहा

NDTV GST Conclave में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि जीएसटी स्लैब घटने से सस्ती हुई चीजों का फायदा कंपनियां और व्यापारी आम लोगों तक जरूर पहुंचाएंगे.

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  • NDTV GST Conclave में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी सुधारों पर खुलकर बात की.
  • निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि कंपनियां इसका फायदा लोगों तक जरूर पहुंचाएंगी.
  • जीएसटी बदलावों से राज्य सरकारों के रेवेन्यू नुकसान पर कहा कि केंद्र नोटों से भरा सूटकेस लेकर नहीं बैठा है.
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हालिया जीएसटी सुधारों को लेकर ये सवाल कई लोगों के मन में है कि क्या स्लैब घटने से सस्ती हुई चीजों का फायदा कंपनियां आम लोगों तक पहुंचाएंगी? NDTV के GST Conclave में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सवाल का जवाब दिया, साथ ही जीएसटी बदलावों से राज्य सरकारों के रेवेन्यू नुकसान पर कहा कि केंद्र सरकार नोटों से भरा सूटकेस लेकर नहीं बैठी है. 

GST सुधारों का फायदा आम लोगों को मिलेगा?

एनडीटीवी के सीईओ राहुल कंवल के सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि कंपनियां इसका फायदा लोगों तक जरूर पहुंचाएंगी. मुझे इंडस्ट्री और व्यापारियों पर पूरा भरोसा है. इसमें कंपनियों और ट्रेडर्स का भी फायदा है. उन्होंने कहा कि हमने लोगों के आम इस्तेमाल की सभी चीजों पर जीएसटी घटाया है. खासकर मिडिल क्लास और गरीबों को ध्यान में रखकर ऐसा किया गया है. 

निर्मला ने कहा, स्लैब घटने से सबका लाभ

वित्त मंत्री ने कहा कि इसका फायदा किसानों को भी होगा, एमएसएमई (छोटे व लघु उद्योगों) को भी होगा. भारतीय अर्थव्यवस्था को भी इससे लाभ होगा. देश के 140 करोड़ लोगों को 22 सितंबर से इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा. ऐसा नहीं है कि इसका फायदा किसी एक या दो खास वर्गों को होगा, सभी को इसका फायदा होगा. 

राज्यों का रेवेन्यू घटने पर केंद्र करेगी भरपाई?

निर्मला से पूछा गया कि कई राज्यों को ये आशंका थी कि जीएसटी स्लैब घटने से उनके हिस्से पर नकारात्मक असर होगा. इन राज्यों को उम्मीद थी कि उनके घाटे की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार ज्यादा उपाय करेगी. इस पर निर्मला ने कहा कि ये सही बात है. 

निर्मला ने कहा कि मैं सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने इस मुद्दे को समझा क्योंकि उनके सहयोग के बिना ये संभव नहीं हो पाता. क्या मंत्रियों की बैठक में जीएसटी को लेकर घमासान भी हुआ था? इस पर निर्मला ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं था. लेकिन ये भी सही है कि कई दौर की बातचीत हुई थी और इस दौरान उन्होंने लोगों की चिंताओं को सामने रखा था. कई बार ऐसा लगा कि बातचीत आगे नहीं  बढ़ रही है, लेकिन बात आगे बढ़ी और सुधार लागू हुए. 

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निर्मला ने माना, बैठक में मतभेद थे

निर्मला ने कहा कि केंद्र के सुझावों का किसी भी राज्य ने विरोध नहीं किया था. जीएसटी काउंसिल की बैठक में आने से पहले भी कई राज्यों ने कहा था कि वह दरों को समायोजित करने के पक्ष में हैं क्योंकि इसका लाभ देश के लोगों को मिलेगा. लेकिन उनकी प्रमुख चिंता ये थी कि राज्य का रेवेन्यू घटेगा तो क्या होगा? हमारे घाटे की भरपाई कौन करेगा. इस बात को लेकर मतभेद जरूर थे. 

वित्त मंत्री ने कहा कि 22 सितंबर के बाद राज्यों को कोई कंपनसेशन (क्षतिपूर्ति) नहीं दिया जाएगा. सेस लगाने से जो पैसा आएगा, वो कोविड के दौरान लिए गए लोन को चुकाने में इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 30 जून 2022 के बाद से ही राज्यों को कंपनसेशन देना बंद कर दिया गया है. ऐसे में कंपनसेशन कोई मुद्दा ही नहीं था. रेवेन्यू घटेगा, ये मसला था. इसी को लेकर अलग-अलग राय थीं. 

'हम नोटों से भरा सूटकेस लेकर नहीं बैठे हैं'

वित्त मंत्री ने कहा कि रेवेन्यू घटने के मसले पर मेरा और कई एक्सपर्ट्स का भी मानना था कि जीएसटी रेट घटने से चीजों का उपभोग बढ़ेगा और इसका फायदा सभी को होगा. अगर रेवेन्यू घटता है तो हम सब मिलकर इस पर काम करेंगे. निर्मला ने कहा कि ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार नोटों से भरा बड़ा सा सूटकेस लेकर बैठी है, और राज्यों को रेवेन्यू का नुकसान होगा तो हम उनमें पैसा बांट देंगे. अगर रेवेन्यू घटेगा तो राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार का भी घटेगा. ऐसे में हम सबको मिलकर ही इसका समाधान निकालना होगा. ये सिर्फ केंद्र के हाथ में नहीं है. 

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