वक्रमुखी महादेव मंदिर 600 सालों से बाढ़ और आपदाओं का सामना कर रहा है.
- हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से 500 से अधिक मकान बह गए और 300 से ज्यादा मकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा.
- इस आपदा में 90 से अधिक लोगों की मौत भी हुई, लेकिन 600 साल पुराना वक्रमुखी महादेव मंदिर सुरक्षित है.
- वक्रमुखी महादेव मंदिर व्यास और वैतरणी नदियों के बीच स्थित है और बाढ़ के बावजूद इसे कोई नुकसान नहीं हुआ है.
हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से भयानक तबाही हुई. 500 से ज्यादा मकान बह गए और 300 से ज्यादा मकानों को नुकसान पहुंचा. इस तबाही के कारण 90 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. हालांकि व्यास और वैतरणी नदी के बीच बना 600 साल पुराना वक्रमुखी महादेव मंदिर आज भी अपने पुराने स्वरूप में ही अटल खड़ा है. इस भीषण तबाही में यह मंदिर कैसे बचा? यह आज भी रहस्य है. एनडीटीवी ग्राउंड रिपोर्ट में जानते हैं कि कैसे यह प्राचीन मंदिर तबाही में बच गया है.
वक्रमुखी मंदिर पर आई आपदा का यह कोई पहला मामला नहीं है. 2023 की आपदा में भी वक्रमुखी मंदिर के ऊपर से पानी बह रहा था, लेकिन यह मंदिर अटल था. इस बार भी व्यास नदी की बाढ़ का पानी मंदिर के अंदर आ गया. पानी के साथ बहकर आने वाले भारी भरकम पेड़ मंदिर के परिसर में पड़े हैं. व्यास नदी का पानी उतर चुका है, लेकिन गाद मंदिर के बाहर और अंदर भर गई है.
राजा अजबर सेन और रानी सुल्ताना ने बनवाया
मंडी के स्थानीय लोगों के मुताबिक, इतनी बड़ी बाढ़ और पानी का तेज बहाव होने के बावजूद मंदिर के एक पत्थर तक को नुकसान नहीं पहुंचा.
व्यास नदी के एक ओर हैं वक्रमुखी महादेव मंदिर और दूसरी तरफ त्रिलोकी नाथ मंदिर. यह दोनों ही मंदिर 600 सालों से बाढ़ और आपदाओं का सामना कर रहे हैं. 1520 ई में बने त्रिलोकी नाथ और वक्रमुखी मंदिर को मंडी को बसाने वाले राजा अजबर सेन और उनकी रानी सुल्ताना ने बनवाया था.
आयताकार पत्थर के बेस पर बना मंदिर
शिखर शैली में बना यह मंदिर आयताकार पत्थर के बेस पर भारी पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है. मंदिर का मंडप मजबूत पत्थर के खंबों पर टिका है. इन खंबों पर महादेव और विष्णु भगवान के अनेक रूपों को दर्शाया गया है. 2023 के बाढ़ में वक्रमुखी महादेव मंदिर की तस्वीरें वायरल हुई थीं, जब पानी मंदिर के ऊपर से बह रहा था. इस बार भी बाढ़ का पानी आया लेकिन मंदिर अडिग और अजर है.