अक्सर देखा जाता है कि चुनाव नज़दीक आते-आते बिजली-पानी का मुद्दा ऐसे छाता है कि उसके आगे प्रदूषण, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और अवैध कॉलोनियों जैसे मुद्दे गायब हो जाते हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) ने मुफ्त बिजली-पानी को चुनाव का मुख्य मुद्दा बना दिया है. आप के बाद कांग्रेस (Congress) ने भी अपनी रणनीति में इसे अपना लिया है. अब बीजेपी भी कई राज्यों में मुफ्त बिजली-पानी का वादा कर रही है. मुफ्त बिजली-पानी का वादा भले ही चुनावी मुद्दा हो, लेकिन ये जनता को खूब भाता है. NDTV-CSDS सर्वे में शामिल 57 फीसदी लोगों ने ऐसी नीतियों को गरीब तबकों के लिए जरूरी बताया है.
मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर NDTV ने लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के साथ मिलकर यह सर्वे किया है. NDTV-CSDS सर्वे का ये दूसरा भाग है. पहले भाग के निष्कर्ष मंगलवार को प्रकाशित किए जा चुके हैं.
NDTV-CSDS सर्वे के मुताबिक, मुफ्त बिजली और पानी को जहां 57 फीसदी लोगों ने गरीबों के लिए जरूरी बताया, वहीं 30 फीसदी लोगों ने ऐसे इकोनॉमी पर बोझ माना है. यानी सर्वे में शामिल 30 फीसदी लोगों का कहना है कि मुफ्त में बिजली और पानी देने से अर्थव्यवस्था और राजस्व पर बोझ बढ़ता है. सर्वे में शामिल 13 फीसदी लोगों ने इसपर कोई राय नहीं दी.
AAP ने पहली बार किया था फ्री बिजली और पानी का ऐलान
दिल्ली की सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली का ऐलान किया था. पानी की बात करें तो इस समय दिल्ली सरकार 20 हजार लीटर तक पानी मुफ्त दे रही है. दिल्ली के बाद जब पंजाब में भी आप की सरकार बनी, तो वहां पार्टी ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली का ऐलान किया है. पंजाब की तरह ही अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी ने अपना फ्री मॉडल जनता के सामने रखा था. लेकिन, पंजाब के अलावा किसी और राज्य में उनका यह मॉडल कुछ खास असर नहीं दिखा पाया.
कांग्रेस ने भी ये मॉडल अपनाया
आप के इस 'फ्री मॉडल' को कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति में शामिल किया. कांग्रेस ने मुफ्त बिजली के वादे की शुरुआत फरवरी 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में की थी. पार्टी ने यूपी के चुनाव घोषणा पत्र 'उन्नति विधान' में बिजली बिल आधा करने और कोरोना काल का बकाया माफ करने का वादा किया था. हालांकि, यूपी चुनाव में कांग्रेस के ये वादे असरदार साबित नहीं हुए. फिर दिसंबर 2022 में हुए गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने मुफ्त बिजली और पानी का वादा किया था. कांग्रेस ने गुजरात और हिमाचल में 300 यूनिट फ्री बिजली देने का का वादा किया था. लेकिन गुजरात में कांग्रेस का इसका फायदा नहीं मिला. हालांकि, हिमाचल में मुफ्त बिजली का वादा असरदार साबित हुआ और पार्टी को जीत मिली.
अब कर्नाटक में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की राह पर चलते हुए 200 यूनिट फ्री बिजली का ऐलान किया था. जिसे लागू किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी ने यूपी के निकाय चुनाव में भी मुफ्त पेयजल उपलब्ध कराने का वादा किया था. हालांकि, कांग्रेस निकाय चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाई.
बीजेपी ने भी किए ऐसे ऐलान
अब बात बीजेपी की. पिछले साल हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने 125 यूनिट बिजली फ्री में देने का ऐलान किया था. कर्नाटक चुनाव में भी बीजेपी ने ऐसे ऐलान किए थे.
महंगाई रोकने में सरकार का काम कैसा?
इस सर्वे के दौरान अलग-अलग मुद्दों से निपटने को लेकर मोदी सरकार के कामकाज की समीक्षा भी जनता ने की, और बताया कि महंगाई ऐसा मुद्दा है, जिससे देश की लगभग समूची आबादी प्रभावित होती है, और इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज से 57 प्रतिशत लोग नाखुश हैं. 33 प्रतिशत लोगों के हिसाब से सरकार का काम 'अच्छा' रहा, और सात फीसदी लोगों को सरकार का काम 'औसत' दर्जे का लगता है. 3 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर कोई भी विचार व्यक्त करने से इंकार कर दिया.
4 साल में आपकी आर्थिक स्थिति?
2019 से 2023 के बीच यानी 4 साल में लोगों की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा? इस सवाल के जवाब में भी मिलीजुली राय मिली. सर्वे में शामिल 35 फीसदी लोगों ने कहा कि 4 साल में उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है. जबकि 42 फीसदी लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति 4 साल में पहले जैसी ही है. 22 फीसदी लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले से बिगड़ गई है. सर्वे में शामिल 1 फीसदी लोगों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया.
चार साल की बात करें, तो 2020 की शुरुआत से 2021 के आखिर तक कोरोना महामारी का कहर बरपा था. लॉकडाउन की वजह से मार्केट की हालत खराब हुई. प्रोडक्शन पर इसका सीधा असर पड़ा. लोगों की क्रय शक्ति भी प्रभावित हुई. हालांकि, मोदी सरकार की नीतियों और गरीबों-जरूरतमंदों को मुहैया कराई गई सुविधाओं की वजह से भारत इस संकट से कम समय में उबरने लगा है.
कैसे हुआ सर्वे?
इस सर्वे को 19 राज्यों के 71 लोकसभा क्षेत्रों में किया गया है. कुल मिलाकर 7 हजार से ज्यादा लोगों से बात की गई. इनमें समाज के सभी वर्ग शामिल हैं, जिन्हें रैंडमली सिलेक्ट किया गया है. यह सर्वे 10 से 19 मई 2023 के बीच किया गया है.
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