NDTV विश्लेषण: 2014 के बाद विरोधियों और आलोचकों पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई 365% बढ़ी

एनडीटीवी के विश्लेषण में पाया गया कि मई 2014 (जब से बीजेपी सत्ता में आई है) से जुलाई 2022 तक, सरकार के 648 आलोचकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इनमें से 466 बीजेपी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं या तो उनके रिश्तेदार या फिर करीबी.

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विश्लेषण में पाया गया है कि बीजेपी के सदस्यों या उनके सहयोगियों के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई की गई है.
नई दिल्ली:

NDTV के एक विश्लेषण में पाया गया है कि यूपीए-2 की तुलना में 2014 से केंद्र में सत्तासीन एनडीए सरकार के कार्यकाल में बीजेपी के राजनीतिक और वैचारिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई में 365 फीसदी की उछाल आई है. विश्लेषण में यह बात भी सामने आई है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से हर साल औसतन 79 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इसकी तुलना में यूपीए-2 के तहत साल में औसतन 17 लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाती थी.

पिछले साल, NDTV ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और सरकार के आलोचकों के खिलाफ सभी कार्रवाई की अपनी तरह की पहली सूची तैयार की थी, जिसे तब नियमित रूप से अपडेट किया जाता रहा है.

यह डेटा पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्टों, सभी तरह के दर्ज मामले, पूछताछ, छापे, आरोप पत्र दाखिल करने और गिरफ्तारी करने आदि सहित सभी कार्रवाई पर आधारित है. केंद्र सरकार के तहत आने वाली कानून प्रवर्तन और जांच एजेंसियों (जैसे- केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग, दिल्ली पुलिस और केंद्र द्वारा संचालित जम्मू-कश्मीर प्रशासन) की कार्रवाई इस डेटा में शामिल है.

एनडीटीवी के विश्लेषण में पाया गया कि मई 2014 (जब से बीजेपी सत्ता में आई है) से जुलाई 2022 तक, सरकार के 648 आलोचकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इनमें से 466 बीजेपी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं या तो उनके रिश्तेदार या फिर करीबी.

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केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर आए अन्य लोगों में ऐसे मीडियाकर्मी या मीडिया संगठन भी हैं जो सरकार के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं. इनके अलावा वैसे एक्टिविस्ट, आलोचक और यहां तक ​​कि नौकरशाह भी इसमें शामिल हैं, जो सरकार पर सवाल उठाते हैं. 

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यह एक विस्तृत सूची नहीं है, बल्कि यह पब्लिक डोमेन में रिपोर्ट पर आधारित है. एनडीटीवी भी इन मामलों के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है.

विश्लेषण में पाया गया है कि बीजेपी के सदस्यों या उनके सहयोगियों के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई की गई है. मई 2014 से जुलाई 2022 के बीच 514 राजनेताओं, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इनमें से 91 फीसदी बीजेपी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. केवल 9 प्रतिशत या 48, बीजेपी या उनके सहयोगी दलों से हैं.

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केंद्र सरकार की एजेंसियों की ऐसी कार्रवाई लगभग सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने देखी है, लेकिन कांग्रेस को सबसे ज्यादा ऐसी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. इस दौरान कांग्रेस के 80 लोगों को निशाना बनाया गया है.

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस इस मामले में दूसरे नंबर पर है. टीएमसी से जुड़े 41 लोगों को निशाना बनाया गया है. जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी इस मामले में तीसरे स्थान पर है और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चौथे स्थान पर है, जिसके 19 सदस्यों पर एजेंसियों ने कार्रवाई की है.

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दो दिन पहले ही, पश्चिम बंगाल ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने केंद्रीय जांच एजेंसियों के "दुरुपयोग" के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संकल्प किसी की निंदा करने या उसे निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि "निष्पक्ष" होने के बारे में है.

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