National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill Passed in Rajya Sabha : दिल्ली राष्ट्रीय राज्य क्षेत्र शासन ( संशोधन) विधेयक 2021 बिल बुधवार को राज्यसभा से पास कर दिया गया है. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. यानी संसद से इसे स्वीकृति मिल चुकी है औऱ अब यह राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा. इस बिल के जरिये दिल्ली निर्वाचित सरकार के मुकाबले लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governor) को ज्यादा शक्तियां दी गई हैं.
बुधवार को विधेयक पर चर्चा के बाद कांग्रेस (Congress) समेत कई विपक्षी दलों ने वॉकआउट किया. विपक्ष के कई दलों ने इस विधेयक को संसद की प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की थी, जो सरकार ने मंजूर नहीं की. वहीं गृह राज्यमंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली को जो अधिकार है वो रहेंगे. उनसे कोई अधिकार छीना नही गया है, दिल्ली पूरा राज्य नही है. संविधान में जो अधिकार दिए गए वो नही छीने नही गए हैं.
वहीं आप सांसद संजय सिंह (Aap MP Sanjay singh) ने विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए कहा था कि जिस तरफ द्रोपदी का चीरहरण हुआ था वैसे ही संविधान का यहां हो रहा है. देश का संविधान कह रहा है बिना किसी संविधान संशोधन के दो करोड़ लोगों ने सरकार ने सरकार को चुना. हमारा क्या अपराध है? दिल्ली में स्कूल खोला, मोहल्ला क्लिनिक खोला औऱ क्या यह हमारा अपराध है. लोगों को 200 यूनिट फ्री बिजली दी गई. यह सब इसीलिए किया गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसान को दिल्ली आने पर जेल में नही डाला. यह बिल रद्द होना चाहिए. सभी सांसद आत्मा की आवाज पर फैसला करें. शिवसेना, अकाली दल ने भी बिल का विरोध किया. यह संघीय ढांचा के खिलाफ है
एनसीपी (NCP) ने भी विधेयक का विरोध किया और इसे काला दिन करार दिया. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी (BJD) ने भी इसका विरोध किया. बीजेडी सांसद प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि हम बिल के खिलाफ हैं, लेकिन वॉकआउट कर रहे है. यह चुनी हुई सरकार के खिलाफ है.
महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का समर्थन करने वाली वाईएसआर कांग्रेस ने भी बिल का विरोध करते हुए इसेसेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की. आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि जनता की आवाज सुननी चाहिए, लेकिन अब एलजी साहब की सरकार हो गई. लोग सड़क पर विरोध करेंगे. सरकार आत्मा को निष्प्राण कर रही है. संघीय ढांचा को खत्म कर रही है.