PM Modi in Palghar : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) महाराष्ट्र के दौरे पर गए तो कांग्रेस ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए पोस्टर लहराए. मगर पालघर में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस को आईना दिखा दिया. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सिंधु दुर्ग में जो हुआ, मैं आज सर झुकाकर मेरे आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में मस्तक रखकर माफी मांगता हूं. मेरे लिए और मेरे पूरा साथियों के लिए छत्रपति शिवाजी सिर्फ नाम नहीं हैं. हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य देव हैं.
राहुल गांधी पर निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में 1,560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद कहा कि हमारे संस्कार अलग हैं. हम वो लोग नहीं हैं, जो आए दिन भारत मां के महान सपूत और इसी धरती के लाल वीर सावरकर को अनाप-शनाप गालियां देते रहते हैं. उन्हें अपमानित करते रहे हैं. देशभक्तों की भावनाओं को कुचलते हैं. सावरकर को गालियां देने पर भी माफी मांगने को भी जो तैयार नहीं हैं और अदालतों में लड़ाई लड़ रहे हैं, महाराष्ट्र की जनता उनके संस्कार को भली-भांति जानती है. न्यू इंडिया' अपनी ताकत जानता है और उसने गुलामी की जंजीरों को पीछे छोड़ दिया है.
कैसे फंस गए कांग्रेस-उद्धव?
पीएम मोदी के इस दांव से कांग्रेस के साथ-साथ उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) भी फंस गए हैं. कारण यह है कि कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) वीर सावरकर को लेकर आक्रामक रहे हैं, एक बार पीएम मोदी पर दिए बयान को लेकर कोर्ट से माफी मांगने के सवाल पर राहुल गांधी ने यहां तक कह दिया था, "मैं सावरकर नहीं, गांधी हूं. गांधी माफी नहीं मांगता" इस पर भी खूब विवाद हुआ था. वहीं उद्धव ठाकरे के पिता बाल ठाकरे वीर सावरकर को महान स्वतंत्रता सेनानी, महाराष्ट्र का गौरव और आजाद भारत का वीर सपूत मानते थे. ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए वीर सावरकर की आलोचना बर्दास्त करना संभव नहीं है. अब पीएम मोदी ने शिवाजी महाराज के अपमान के आरोपों पर तुरंत माफी मांग कर एक तो महाराष्ट्र के लोगों का दिल जीत लिया, दूसरी ओर वीर सावरकर के अपमान पर राहुल गांधी के अब तक माफी न मांगने को मुद्दा बना दिया. आगामी विधानसभा चुनाव में वीर सावरकर का मुद्दा एक बार फिर गरम हो सकता है. अब महाराष्ट्र की जनता जानना चाहेगी कि अगर किसी अन्य की गलती पर भी पीएम मोदी माफी मांग सकते हैं तो राहुल गांधी खुद वीर सावरकर के अपमान पर माफी क्यों नहीं मांग सकते? साथ ही उद्धव ठाकरे वीर सावरकर के अपमान करने वालों के साथ क्यों हैं?
कौन हैं वीर सावरकर?
वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था. 28 मई 1883 को जन्मे वीर सावरकर एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे. उनका जन्म नासिक के निकट भागुर गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी किशोरावस्था में ही एक युवा संगठन 'मित्र मेला' का गठन किया था. संगठन का उद्देश्य राष्ट्रीय और क्रांतिकारी विचारों को लाना था. 7 अक्टूबर 1905 को दशहरे के दिन उन्होंने सभी विदेशी वस्तुओं को होलिका में जला दिया. इसके पीछे कारण ये था कि वे विदेशी वस्तुओं के खिलाफ थे और स्वदेशी के विचार का प्रचार करते थे. उन्होंने नास्तिकता और तर्कसंगतता का समर्थन किया. उन्होंने रूढ़िवादी हिंदू विश्वास को अस्वीकार कर दिया और गाय की पूजा को अंधविश्वास करार दिया. 1909 में उन्हें मोर्ले-मिंटो सुधार (भारतीय परिषद अधिनियम 1909) के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 1911 में उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल काला पानी में 50 वर्ष की सजा सुनाई गई. कई दया याचिकाओं के बाद उन्हें 1924 में 5 साल तक राजनीति में भाग नहीं लेने की शर्तों के साथ रिहा कर दिया गया और रत्नागिरी छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद उन्होंने रत्नागिरी में अस्पृश्यता उन्मूलन पर काम किया. अपनी पुस्तक हिंदुत्व में उन्होंने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की वकालत की. हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग राष्ट्र. हिंदू महासभा ने 1937 में द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को एक प्रस्ताव के रूप में पारित किया.
शिवाजी मामले में कार्रवाई
इससे पहले दिन में, कोल्हापुर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सिंधुदुर्ग के मालवन इलाके में गिरी शिवाजी महाराज की मूर्ति के संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल को कोल्हापुर से गिरफ्तार किया गया है. कोल्हापुर पुलिस की स्थानीय अपराध शाखा की एक टीम ने पाटिल का पता लगाने के लिए एक अभियान चलाया था और बाद में, उसे शुक्रवार को लगभग 12.30 बजे कोल्हापुर से अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. अधिकारियों ने बताया है कि उसे सिंधुदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया है और आज उसे सिंधुदुर्ग लाया जाएगा. मामले में सिंधुदुर्ग पुलिस ने एक ठेकेदार को भी गिरफ्तार किया है. 35 फुट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा 26 अगस्त को ढह गई थी. प्रतिमा का अनावरण पिछले साल 4 दिसंबर को सिंधुदुर्ग में नौसेना दिवस समारोह में किया गया था.