पश्चिम बंगाल में पुराने नारदा रिश्वत केस के मामले को लेकर फिर से बवाल शुरू हो गया है. सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को गिरफ्तार किया है. अपने विधायकों पर एजेंसी के एक्शन को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद गुस्से में सीबीआई के ऑफिस पहुंच गईं. गिरफ्तारियों को लेकर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आखिर अचानक गिरफ्तारी करने की इतनी जल्दी क्यों दिखाई गई?
उन्होंने कहा कि 'पश्चिम बंगाल में गिरफ्तारियों के पीछे केंद्र सरकार और सीबीआई के गलत इरादे दिखते हैं. गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी की जरूरत भी होनी चाहिए. गिरफ्तार करने की शक्ति होने का मतलब यह नहीं है कि आप गिरफ्तार करने के लिए बाध्य ही हैं. नारदा दशक पुराना मामला है, टेप भी 2016 के हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी आ चुका है, फिर अभी दो गिरफ्तारियां करने के पीछे क्या जरूरत थी?'
उन्होंने कहा कि 'इसपर गंभीर संदेह है कि राज्यपाल, जिनका पक्षपातपूर्ण रवैया साफ है, उनके पास जांच को मंजूरी देने की शक्ति है, वो भी बस इसलिए क्योंकि उन्होंने 2011 में मंत्रियों को शपथ दिलाई थी? और फिर 2016 में टेप आने के पांच साल बाद क्यों सैंक्शन करना और फिर अचानक से 2021 में गिरफ्तारी क्यों? चुनावों में हारने की वजह से? बदला लेने के लिए? चुनाव का नतीजा बदलने के लिए?'
सिंघवी ने आगे लिखा, 'विधायकों के खिलाफ केस स्पीकर की अनुमति के बिना नहीं चलाया जा सकता. ऐसे में न्यायिकता की कमी, बदले के लिए हुई गिरफ्तारी, गिरफ्तारी की टाइमिंग, इस सबसे गिरफ्तारी के पीछे घटिया और खतरनाक बदले की भावना दिखती है.'
बता दें कि नारदा मामले में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों और एक विधायक के अलावा पूर्व मंत्री शोभन चटर्जी को सीबीआई के निजाम पैलेस स्थित कार्यालय ले जाया गया था. केंद्रीय बलों के साथ सीबीआई की एक टीम सोमवार सुबह हाकिम के चेतला आवास पर पहुंची और उन्हें जांच एजेंसी के कार्यालय ले गई थी, जिसके बाद ममता बनर्जी खुद भी सीबीआई के ऑफिस पहुंचीं और गुस्से में कहा कि उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए.
क्या है नारदा केस?
2016 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव से ठीक पहले नारद न्यूज पोर्टल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था. स्टिंग में सैमुएल एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के 7 सांसदों, 3 मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के बदले में मोटी रकम देते नजर आ रहे थे. इस स्टिंग को ममता बनर्जी ने साजिश करार दिया था, हालांकि, तबसे इस केस को लेकर काफी बवाल हो चुका है.