नगालैंड विधानसभा के लिए 27 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने में महज तीन दिन पहले ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ईएनपीओ) ने चुनावों के बहिष्कार का अपना फैसला शनिवार को वापस ले लिया. गृह मंत्रालय ने चुनाव की किसी भी प्रक्रिया से दूर रहने के ईएनपीओ के 26 अगस्त 2022 के प्रस्ताव की समीक्षा करने का अनुरोध किया था जिसके बाद ईएनपीओ ने शनिवार को दीमापुर में अपनी कार्यकारी बैठक में यह फैसला लिया. ईएनपीओ ने सभी नागरिकों से चुनावों में सरकार के साथ सहयोग करने तथा ईएनपीओ के क्षेत्र में कानून एवं व्यवस्था की कोई समस्या खड़ी न करने का भी अनुरोध किया.
एक विज्ञप्ति में ईएनपीओ ने कहा कि बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री के ईएनपीओ के पदाधिकारियों को दो फरवरी को दिए आश्वासन पर चर्चा की गई और अपने आदिवासी निकायों तथा प्रमुख संगठनों से विचार-विमर्श करने के बाद तत्काल प्रभाव से उसने अपना बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया.
ईएनपीओ ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद परस्पर सहमति से एक समाधान निकाला जाएगा और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे लागू किया जाएगा.''
ईएनपीओ 2010 से अलग राज्य ‘फ्रंटियर नगालैंड' बनाने की मांग कर रहा है. उसका आरोप है कि मोन, त्युनसांग, लोंगलेंग, किफिरे, शमातोर और नोकलाक के छह जिलों के उसके क्षेत्र को सभी मोर्चों पर नजरअंदाज किया गया है.
ईएनपीओ क्षेत्र में 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा की 20 सीटें आती हैं. 27 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख सात फरवरी है.
गृह मंत्रालय ने ईएनपीओ की मांग पर विचार करने के लिए तीन सदस्यीय दल गठित किया है.
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