यूपी के कॉलेज में बुर्का-हिजाब पहन छात्राओं ने किया रैंप वॉक, मुस्लिम संगठन बोले- माफी मांगें

26 नवंबर को श्रीराम कॉलेज में फाइन आर्ट विभाग की छात्राएं बुर्का पहनकर रैंप पर उतरी थीं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के संयोजक मौलाना मुकर्रम काजमी ने बुर्के को फैशन शो का हिस्सा बनाने पर एतराज जताया था.

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मुज्जफरनगर:

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक कॉलेज की छात्राओं ने बुर्का (Burqa Controversy)और हिजाब पहनकर रैंप वॉक किया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुस्लिम संगठनों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. जमीयत उलेमा (Jamiat Ulama) के मौलाना मुकर्रम कासमी ने इसे सरासर गलत ठहराते हुए मुस्लिमों की भावनाओं को भड़काने वाला बताया है. उन्होंने साफ कहा कि बुर्का किसी फैशन शो का हिस्सा नहीं है. बुर्का या हिजाब पहनकर रैंप वॉक करने वाली लड़कियों को माफी मांगनी होगी.

जमीयत उलेमा के मौलाना मुकर्रम कासमी ने कहा, "कॉलेज के अधिकारियों और लड़कियों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम कानूनी कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएंगे. उन्हें किसी भी धर्म के अनुयायियों के साथ दोबारा ऐसा नहीं करना चाहिए."

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26 नवंबर को हुआ था फैशन शो
26 नवंबर को श्रीराम कॉलेज में फाइन आर्ट विभाग की छात्राएं बुर्का पहनकर रैंप पर उतरी थीं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के संयोजक मौलाना मुकर्रम काजमी ने बुर्के को फैशन शो का हिस्सा बनाने पर एतराज जताया था. इसके अलावा मुस्लिम समाज के कई अन्य लोग भी इसके विरोध में आए थे, लेकिन मामला हाइलाइट होने के बाद बुर्का पहनकर रेंप पर कैटवाक करने वाली छात्राओं ने स्पष्ट जवाब दिया कि बुर्का मुस्लिम महिलाओं का पर्दा है, लेकिन इसे डिजाइनदार तरीके से भी पहना जा सकता है.

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'अनेकता में एकता'
छात्राओं ने कहा कि कॉलेज के फैशन शो में सभी तरह के कपड़ों का रिप्रेजेंटेशन किया जा रहा था. उनमें से एक ने बुर्का डिजाइन करने का फैसला किया, ताकि वो अपनी क्रिएटिविटी भी दिखा सके. फैशन शो में हिस्सा लेने वाले एक छात्रा ने कहा, "हर कोई अपनी क्रिएटिविटी को जाहिर करने के नए तरीकों के बारे में सोचने की कोशिश कर रहा था. सभी तरह के ड्रेस को शोकेज किया जा रहा था. एक दोस्त ने बुर्के को भी रिप्रेजेंटेशन देने का आइडिया दिया. हमारा मकसद हमारी ड्रेसिंग स्टाइल को रिप्रेजेंटेशन देना और विविधता में एकता प्रदर्शित करना था. हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि मुस्लिम लड़कियां पीछे न रहें."

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विवाद पर छात्रा ने कहा, "सवाल उठाए जाते हैं कि हिजाब हटाया जाता है या पहना जाता है. दारुल उलूम के एक मौलाना ने कहा है कि यह अच्छा है कि हमें जो मौका मिला, हमने उसका फायदा उठाया."

एक अन्य छात्रा बुशरा खान ने कहा, "किसी ने हमसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा, हमने ऐसा किया क्योंकि हम ऐसा करना चाहते थे. हमने जो किया उसमें कुछ भी गलत नहीं है. इसका मकसद डिजाइन शोकेस करना था."

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कॉलेज ने छात्राओं का किया समर्थन
कॉलेज भी इन छात्राओं के साथ खड़ा है. उनका दावा है कि उन्हें दारुल उलूम के एक प्रतिनिधि से भी समर्थन मिला है, जिन्होंने कहा है कि फैशन शो प्रतिनिधित्व का एक रूप था.

श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के मीडिया को-ऑर्डिनेटर रवि गौतम ने कहा, "मौलाना के विचार उनके अपने हैं और मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. हम एक शैक्षणिक संस्थान हैं. हमारा उद्देश्य छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षा देना है, चाहे कुछ भी हो." उन्होंने कहा, "ये फैशन शो डिजाइन की पढ़ाई करने वाली लड़कियों ने आयोजित किया था. इसका उद्देश्य उन्हें अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के लिए प्लेटफॉर्म देना था."


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