यूपी के 6 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस, गोरखपुर में कानपुर के कारोबारी की मौत में CBI चार्जशीट

इन  सभी पुलिसकर्मियों को पिछले वर्ष अक्‍टूबर माह में अरेस्‍ट किया गया था. यह मामला यूपी में काफी चर्चा में रहा था और पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर तीखे सवाल खड़े किए गए थे. 

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कारोबारी मनीष गुप्ता की पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर जमकर पिटाई की थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्‍ता की गोरखपुर में हुई मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) ने चार्जशीट दाखिल की, इसमें अरेस्‍ट किए गए सभी छह पुलिसकर्मियों को हत्‍या के लिए आरोपित किया गया है. इन  सभी पुलिसकर्मियों को पिछले वर्ष अक्‍टूबर माह में अरेस्‍ट किया गया था. यह मामला यूपी में काफी चर्चा में रहा था और पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर तीखे सवाल खड़े किए गए थे. यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को इस मामले के कारण काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था.केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि‍ राज्‍य सरकार के आग्रह पर सीबीआई ने नवंबर माह में केस दर्ज किया था.

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गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर माह में पिछले महीने गोरखपुर के एक होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता (36) की पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. कानपुर पुलिस ने सभी छह आरोपियों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम रखा था लेकिन, बाद में उसे बढ़ाकर एक-एक लाख रुपये कर दिया गया. इस मामले में नामजद सभी छह आरोपियों को अक्‍टूबर माह में गिरफ्तार कर लिया गया था. 13 अक्टूबर को मुख्य आरक्षी कमलेश कुमार यादव को एक गुप्त सूचना पर गिरफ्तार किया गया था, जब वह अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहा था. इसके पहले, मंगलवार को उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) राहुल दुबे और आरक्षी (कांस्टेबल) प्रशांत कुमार को एक मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार किया गया था जो गोरखपुर की अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहे थे. पुलिस निरीक्षक जगत नारायण सिंह और उपनिरीक्षक अक्षय मिश्रा को भी 10 अक्टूबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

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यूपी सरकार ने कानपुर के व्यापारी की गोरखपुर में पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर पिटाई के बाद मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (CBI) से कराने की सिफारिश करते हुए केंद्र सरकार को एक अक्टूबर को प्रस्ताव भेजा था.

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