आस्था के दरबार में भेदभाव! लालबाग के राजा के दर्शन पर बवाल, मानवाधिकार आयोग को क्यों देना पड़ा दखल?

मानवाधिकार आयोग ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मंडल को नोटिस जारी किया है और कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी. लालबागचा राजा के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्त भीड़ लगाते हैं. इनमें से कई लोग घंटों तक लाइन में खड़े होकर बाप्पा के दर्शन करते हैं.

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  • मुंबई के लालबाग राजा गणेशोत्सव मंडल पर सामान्य नागरिकों और वीआईपी के लिए अलग-अलग कतारों का आरोप लगा है.
  • मानवाधिकार आयोग ने भेदभाव की शिकायत पर मंडल को नोटिस जारी कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
  • आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त और अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा है.
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मुंबई:

मुंबई का प्रसिद्ध ‘लालबाग राजा' गणेशोत्सव मंडल मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission) के रडार पर आ गया है. सार्वजनिक दर्शन के लिए सामान्य नागरिकों और अति-महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआईपी) के लिए अलग-अलग कतारों के कारण मानवाधिकार आयोग ने मंडल को नोटिस जारी किया है. दर्शन व्यवस्था में इस भेदभाव के कारण आयोग ने मंडल को इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है, जिससे मंडल मुसीबत में आ गया है. आरोप यह भी है कि वीआईपी और आम आदमी के लिए रास्ते तक अलग हैं. भगवान गणेश का दायां पैर आम जनता के लिए, जबकि बायां पैर वीआईपी के लिए आरक्षित बताया जा रहा है.

लालबाग राजा मुंबई का सबसे प्रसिद्ध सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल है. गणेशोत्सव के दौरान लाखों भक्त लालबाग राजा के दर्शन के लिए भीड़ लगाते हैं. लेकिन, लालबाग राजा मंडल पर भक्तों के बीच भेदभाव का आरोप लग रहा है. दर्शन के लिए बनाई गई दो अलग-अलग कतारों पर मानवाधिकार आयोग ने नाराजगी व्यक्त की है.

'वीआईपी व्यक्तियों के लिए अलग कतार...'

आशीष राय और पंकज मिश्रा ने इस दर्शन व्यवस्था के संबंध में आयोग में शिकायत दर्ज की थी. उनकी शिकायत के अनुसार, सामान्य नागरिक कई घंटों तक लाइन में खड़े होकर दर्शन का इंतजार करते हैं, जबकि वीआईपी व्यक्तियों के लिए अलग कतार होने के कारण उन्हें कुछ ही मिनटों में दर्शन मिल जाता है. शिकायतकर्ताओं ने कहा था कि यह व्यवस्था मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसमें समानता के सिद्धांत का अभाव दिखाई देता है.

इस मामले में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अनंत बदर के सामने सोमवार को सुनवाई हुई. इसमें आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव के साथ-साथ गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुंबई पुलिस आयुक्त और मुंबई महानगरपालिका आयुक्त को भी नोटिस जारी किया है. मानवाधिकार आयोग ने इन सभी प्रतिवादियों को शिकायत की जांच करने और छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी
मानवाधिकार आयोग ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मंडल को नोटिस जारी किया है और कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी. लालबागचा राजा के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्त भीड़ लगाते हैं. इनमें से कई लोग घंटों तक लाइन में खड़े होकर बाप्पा के दर्शन करते हैं. ऐसी स्थिति में, वीआईपी संस्कृति के कारण होने वाला यह भेदभाव कई वर्षों से चर्चा का विषय रहा है.

अब आयोग ने सीधे संज्ञान लिया है, जिससे इस विवाद को एक आधिकारिक स्वरूप मिल गया है. इस मामले में मंडल ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, आयोग के इस रुख से सामान्य नागरिकों में संतोष का माहौल है. आयोग का यह निर्णय सामान्य भक्तों के अधिकारों की रक्षा करने वाला माना जा रहा है.

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क्या बोले वकील आशीष राय?
आशीष राय ने कहा है कि लालबाग राजा मंडल में जिस तरह से वीआईपी, नॉन-वीआईपी ट्रीटमेंट दी जा रही है, लोगों पर अन्याय किया जा रहा है, इस बारे में मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज की गई है. इस संबंध में मानवाधिकार आयोग ने इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की है और नोटिस भी भेजा है. इस संबंध में अगली सुनवाई कुछ हफ्तों में है जिसमें उन्हें लिखित जवाब देना होगा.

लालबाग राजा मंडल के साथ-साथ विसर्जन जुलूस में लाखों लोग भाग लेते हैं, जिसमें भगदड़ का खतरा होता है क्योंकि उचित योजना नहीं होती. इसलिए आज हमारी तरफ से मानवाधिकार आयोग को एक और नोटिस दी जाएगी. जिसमें वीआईपी, नॉन-वीआईपी ट्रीटमेंट के कारण लोगों को परेशानी हो रही है. आईडी कार्ड दिखाकर लोगों को छोड़ा जाता है. हम इस पर प्रतिबंध लगाने और कार्रवाई करने की मांग करेंगे, ऐसा आशीष राय ने कहा है.

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