- अजमल कसाब ने मुंबई हमले के बाद जांच अधिकारी को बताया था कि पाकिस्तान में कैसे उसका ब्रेनवॉश हुआ था
- कसाब ने एक अधिकारी को बताया था कि जब अफजल को 8 साल में फांसी नहीं मिल पाई तो मुझे क्या मिलेगी?
- जांच अधिकारी ने खुलासा किया कि फांसी की सजा से कुछ दिन पहले कसाब का व्यवहार कैसा था
मुंबई हमले का गुनहगार आमिर अजमल कसाब पकड़े जाने के बाद वो कैसा व्यवहार करता था इस पर मुंबई पुलिस के जांच अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस की कस्टडी में कसाब ने बताया था कि कैसे पाकिस्तानी एजेंसियों ने उसका ब्रेनवॉश किया था. इसके बाद उनसे कहा था कि उसको फांसी नहीं दी जा सकेगी. पुलिस अधिकारी रमेश महाले ने कहा कि जब कसाब की फांसी की तारीख आ गई थी तो कस्टडी में कसाब ने उनसे कहा था कि साहब आप जीत गए और मैं हार गया. गौरतलब है कि आज मुंबई आतंकी हमले की 17वीं बरसी है.
कसाब का कैसा था व्यवहार
महाले ने बताया कि वो उसके साथ दोस्ताना व्यवहार करते थे. यहां तक कि कसाब ने कस्टडी के दौरान उसके जांच का तरीका तक सिखाने की कोशिश की. कसाब ने महाले से कहा था, 'आप मुझे फांसी पर नहीं चढ़ा सकते हैं.' कसाब ने कहा कि जब आप अफजल गुरु को 8 बरस में फांसी नहीं दे पाए तो मुझे क्या दोगे? महाले ने कहा कि इस दौरान उन्हें काफी गुस्सा आता था. उन्होंने कहा कि फिर मैंने कहा कि जो भगवान और कोर्ट चाहेगा वही तेरे साथ होगा.
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महाले ने बताई कसाब की आखिरी बात
इसके बाद महाले ने कहा कि मेरे नसीब था कि मुझे ही कसाब को लेकर जाने के लिए भेजा गया. उसी दौरान कसाब ने कहा था कि साहब आप जीत गए मैं हार गया. महाले ने कहा कि यही उसकी आखिरी बात थी. इससे पहले कसाब ने जान बूझकर कहा था कि 8 साल तक तो आप अफजल गुरु को फांसी दे नहीं पाए, अभीतक मुझे 8 बरस नहीं हुए हैं.
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आखिरी वक्त के समय कसाब की हालत कैसी?
महाले ने बताया कि नहीं, वो सदमे में बिल्कुल नहीं था. उन्होंने बताया कि हमारी न्याय व्यवस्था उसको 7 दिन पहले ही डेथ वॉरंट की कॉपी दी गई थी. कसाब को मालूम था कि उसको फांसी होने वाली है. महाले ने बताया कि कसाब ने पूरी जांच के दौरान कहा कि उसे अपने किए का कोई पछतावा नहीं है. कसाब ने कहा कि उनसे कन्फेशन वाला बयान इसलिए दिया क्योंकि वो चाहता है कि मेरे जैसे और आत्मघाती हमलावर होने चाहिए. महाले ने बताया कि ईद पर मैंने उससे पूछा था कि उसे क्या चाहिए. फिर हमने उसे कपड़े दिए. महाले ने बताया कि आखिर वो इतनी गंदगी में कैसे रहता. हमें भी परेशानी होती. कपड़े तो देना ही था.













