मुंबई के अनछुए इलाकों को जोड़ेगी मेट्रो की Aqua Line: BQ EXCLUSIVE में MMRC की MD अश्विनी भिड़े

मुंबई में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ज़रिये अब तक अनछुए इलाकों को जोड़ने की कोशिश में पहली बार पूरी तरह अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन चलाई जाने वाली है, जिसे अक्वा लाइन कहा जाएगा. अब तक किसी भी नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए इलाकों को भी 33.5 किलोमीटर लम्बी इस लाइन से जोड़ा जाएगा, जिससे मुंबईकरों को बेहद आराम हो जाएगा.

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MMRC की MD अश्विनी भिड़े ने कहा, "कनेक्टिंग द अनकनेक्टेड (जोड़ेंगे, जो अब तक जुड़ा नहीं है) ही अक्वा लाइन का मॉटो है..."

देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर मुंबई (Mumbai) में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ज़रिये अब तक अनछुए इलाकों को जोड़ने की कोशिश में पहली बार अंडरग्राउंड मेट्रो (Underground Metro) चलाई जा रही है, जिसे अक्वा लाइन 3 (Aqua Line 3) कहा जाएगा. अब तक किसी भी नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए इलाकों को भी 33.5 किलोमीटर लम्बी इस पूरी तरह अंडरग्राउंड लाइन से जोड़ दिया जाएगा, जिससे मुंबईकरों को बेहद आराम हो जाएगा.

इस लाइन का पहला फ़ेज़ दिसंबर, 2023 में ऑपरेशनल हो जाने की उम्मीद है, सो, इसे तैयार करने में क्या-क्या चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और इस लाइन से मुंबईवासियों को क्या-क्या फायदे होंगे, इस पर मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (Mumbai Metro Rail Corporation या MMRC) की प्रबंध निदेशक (Managing Director या MD) अश्विनी भिड़े (Ashiwni Bhide), जो बृहन्मुंबई नगर निगम, यानी Brihanmumbai Municipal Corporation या BMC में अतिरिक्त नगर आयुक्त (Additional Municipal Commissioner) भी हैं, से BQ Prime द्वारा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बातचीत की गई.

अश्विनी भिड़े ने बताया, इस अक्वा लाइन का पहला फेज़, जो आरे को BKC से जोड़ेगा, कई चुनौतियों के बावजूद दिसंबर, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद की जा सकती है. हालांकि कुछ देरी की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता, लेकिन देरी हुई भी, तो दो-तीन महीने से ज़्यादा की नहीं होगी. इसके बाद दूसरा फ़ेज़, जो BKC से कफ़ परेड तक जाएगा, भी इसके बाद के 6-7 महीनों में ऑपरेशनल हो जाएगा.

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MMRC की MD के मुताबिक, अक्वा लाइन की सबसे बड़ी और अनूठी विशेषता यह है कि यह समूची लाइन अंडरग्राउंड होगी. इसकी दूसरी खासियत यह है कि 200 किलोमीटर का पहले से मौजूद नेटवर्क होने के बावजूद यह मेट्रो की पहली लाइन होगी, जो आइलैंड सिटी, यानी साउथ मुंबई को कनेक्ट करेगी. यह पहले से मौजूद नेटवर्क की हर लाइन को कहीं न कहीं कनेक्ट ज़रूर करेगी. इसकी एक और खासियत यह है कि इस लाइन पर सबसे ज़्यादा सवारियां आएंगी, यानी यह मुंबई के ही नहीं, समूचे मुल्क के किसी भी मेट्रो नेटवर्क की 'मोस्ट ट्रैवल्ड लाइन' होने वाली है. इस पर हर रोज़ 12-13 लाख लोग सफ़र करने वाले हैं, और इसकी अधिकतम क्षमता 17 लाख सवारियां होगी. अब सबसे ज़्यादा सवारियां और सबसे ज़्यादा कनेक्टिविटी प्वाइंट होने के चलते यह मुंबई की दूसरी लाइफ़लाइन बनने जा रही है.

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चुनौतियों के बारे में बात करते हुए अश्विनी भिड़े ने बताया कि इस लाइन पर एक चुनौती यह रही कि यह मुंबई के सबसे घने बसे इलाकों से गुज़रने वाली थी, जैसे - दादर, फोर्ट, गिरगांव, कालबादेवी, शितलादेवी, ग्रांट रोड आदि. इन जगहों पर स्टेशन तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा. इसके अलावा, इस लाइन के 27 में से 26 स्टेशन अंडरग्राउंड हैं, सो, सभी में कमोबेश कुछ न कुछ चुनौतियां सामने आती रहीं.

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मुंबई की मेट्रो सवारियों को क्या-क्या फायदे मिलने जा रहे हैं, इस सवाल के जवाब में MMRC की MD ने बताया कि वे ड्राइवरलेस ट्रेन सिस्टम इस्तेमाल करने जा रहे हैं, और मेट्रो के संचालन से होने वाले कंपन को खत्म या कम करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही इसमें ऑटोमेटेड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम, ऑटोमेटेड ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम भी इस्तेमाल किए जाएंगे. अश्विनी भिड़े का दावा है कि सब-अर्बन ट्रेनों की तुलना में अक्वा लाइन में सफ़र करना ज़्यादा सुविधाजनक और आरामदायक, ज़्यादा भरोसेमंद, ज़्यादा गति वाला और ज़्यादा सुरक्षित होगा. मेट्रो की अक्वा लाइन के स्टेशनों पर दिव्यांग यात्रियों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा. एक बार स्टेशन में प्रवेश के बाद वे किसी से मदद लिए बिना भी गंतव्य तक पहुंच सकेंगे.

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मेट्रो लाइन की विशेषताओं के बारे में अश्विनी भिड़े ने बताया कि 33.5 किलोमीटर के रूट में कुल 27 स्टेशन होंगे, और वे ऐसे इलाकों को जोड़ने जा रहे हैं, जो अब तक सब-अर्बन सिस्टम से जुड़े नहीं हैं, इसलिए सवारियों को उतरकर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए सफ़र के किसी भी दूसरे साधन का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा. इसके अलावा, अक्वा लाइन मेट्रो के अलग-अलग नेटवर्क से भी जुड़ी रहेगी, सो, घर से गंतव्य और वापसी का पूरा सफर बिना कोई दूसरा साधन इस्तेमाल किए हो सकेगा. यही नहीं, यह लाइन दोनों एयरपोर्टों के साथ-साथ शहर में पहले से मौजूद परिवहन के अन्य नेटवर्कों से भी जुड़ी होगी. 'कनेक्टिंग द अनकनेक्टेड' (जोड़ेंगे, जो अब तक जुड़ा नहीं है) ही अक्वा लाइन का मॉटो है.

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