मुंबई हमला था भारत-पाक संबंधों में महत्वपूर्ण मोड़, पाकिस्तान गलत हरकतों में अब भी लिप्त : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 2014 के बाद जब सरकार बदली तो पाकिस्तान को यह सख्त संदेश दिया गया कि अगर आतंकवादी गतिविधियां जारी रहीं तो इसके परिणाम भुगतने होंगे.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्‍तान को लेकर कहा कि वे कई मायनों में गलत हरकतों में अब भी लिप्त हैं.
आणंद :

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले से पाकिस्तान के साथ संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, क्योंकि उस समय भारतीयों ने सामूहिक रूप से महसूस किया कि पड़ोसी देश के इस तरह के व्यवहार को अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. एक विश्वविद्यालय में एक संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में आए परिवर्तन का जिक्र किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके विपरीत, पाकिस्तान जैसा था, वैसा ही बना हुआ है और वह अब भी ‘‘गलत हरकतों में संलिप्त है.''

यह पूछने पर कि भारत सरकार अब सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान पर शायद ही कभी चर्चा करती है, जयशंकर ने स्पष्ट किया कि उस (पाकिस्तान) पर ‘कीमती समय' बर्बाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

काश, मैं कह पाता कि पाकिस्तान बदल गया: जयशंकर 

उन्होंने कहा, “भारत बदल गया है. काश! मैं कह पाता कि पाकिस्तान बदल गया है. दुर्भाग्य से, वे कई मायनों में गलत हरकतों में अब भी लिप्त हैं. मैं कहूंगा कि 26 नवंबर का मुंबई आतंकवादी हमला एक महत्वपूर्ण मोड़ था. मुझे लगता है कि उस समय भारतीय जनता और सभी राजनीतिक दलों ने कहा था कि अब अति हो गया.”

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गुजरात से राज्यसभा सदस्य जयशंकर ने कहा , “लोगों को लगा कि देश (भारत) अपने पड़ोसी के इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि समाज में यह भावना बहुत प्रबल थी, लेकिन उस समय सरकार द्वारा इसे पूरी तरह से नहीं समझा गया होगा, जो एक अलग मामला है.”

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2014 के बाद पाकिस्‍तान को दिया सख्‍त संदेश: जयशंकर 

उन्होंने कहा कि 2014 के बाद जब सरकार बदली तो पाकिस्तान को यह सख्त संदेश दिया गया कि अगर आतंकवादी गतिविधियां जारी रहीं तो इसके परिणाम भुगतने होंगे.

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जयशंकर ने कहा, “इस अवधि के दौरान हमने आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रगति की है तथा दुनिया में हमारी स्थिति में सुधार हुआ है. लेकिन पाकिस्तान पुरानी नीति पर ही चलता रहा.''

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जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान में संघर्ष से भी कुछ हासिल करने की कोशिश कर रहा था, जब अमेरिका और नाटो वहां मौजूद थे.

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान दोहरा चरित्र अपना रहा था. वह तालिबान और दूसरे पक्ष के साथ भी दोहरा चरित्र अपना रहा था. लेकिन, जब अमेरिकी चले गए तो दोहरा चरित्र जारी नहीं रह सका. इस दोहरे चरित्र से उन्हें जो भी लाभ मिल रहा था, वह भी खत्म हो गया. इसके अलावा, जिस आतंकवाद उद्योग को उन्होंने बढ़ावा दिया था, वह उन्हें ही नुकसान पहुंचाने लगा.”
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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