मुंबई हमले के आज 17 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन देश आज भी उन नायकों को नहीं भूला है, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई. 26/11 आतंकी हमले की 17 वीं बरसी पर हमने ऐसे ही नायकों को याद किया है. ऐसे ही पांच किरदारों की कहानी हम आज आपको बता रहे हैं. मुंबई हमले में हेमंत करकरे, विजय सालस्कर और एसीपी अशोक काम्टे जैसे सीनियर पुलिस अधिकारी भी शहीद हुए थे. 26/11 हमले में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को कैसे भुलाया जा सकता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों से सीधा मोर्चा लिया था.
उज्जवल निकम
उज्ज्वल निकम देश के सबसे अनुभवी सरकारी वकीलों में से एक हैं. निकम ने 2009 में 26/11 मुंबई हमले के एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब के खिलाफ केस लड़ा और उसे फांसी तक पहुंचाया. उज्जवल निकम 2008 के मुंबई हमले मामले में सरकारी अभियोजक थे, जिन्होंने कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया. मुंबई हमले की सुनवाई के दौरान उन्हें Z प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी गई. 30 साल के वकालत के पेशे में निकम ने 600 से अधिक अपराधियों को उम्रकैद और 37 को फांसी की सजा दिलाई. 2016 में उन्हें पद्मश्री मिला. फिर 2024 में वो बीजेपी से मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से चुनाव लड़े.
रमेश महाले- मुख्य जांच अधिकारी
रमेश महाले 26/11 हमले के मुख्य जांच अधिकारी थे. कसाब ने उन्हें पूछताछ में बताया कि कैसे आतंकी संगठनों ने उसका ब्रेनवॉश किया गया.मुंबई हमले के अलावा जेडे मर्डर केस, आजाद मैदान हिंसा, महाराष्ट्र मंत्रालय की आग और अबू जिंदाल जैसे मामलों में चार्जशीट उनकी अगुवाई में दाखिल की गई.मुंबई हमला मामले में 12 अलग-अलग घटनास्थलों को लेकर 12 पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज की गईं. अलग-अलग जांच टीमें बनी थीं. महाले उनकी जांच टीम के प्रमुख थे. मुंबई हमले के अगले दिन से उन्होंने जांच शुरू कर दी और 5 दिनों में सारे मामले क्राइम ब्रांच को मिल गए. बिना छुट्टी लिए लगातार जांच की अगुवाई महाले ने की.दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु से अमेरिका तक जांच टीम गई.
हेमंत बावधनकर की टीम ने इस्माइल को ढेर किया
मुंबई की गिरगांव चौपाटी पर एपीआई हेमंत बावधनकर की टीम बैरीकेडिंग के साथ तैनात थी. तभी रात 12.15 बजे कंट्रोलरूम से फोन आया कि आतंकी स्कोडा कार से चौपाटी की ओर भाग रहे हैं. बैरीकेडिंग से 50 मीटर दूर कार खड़ी दिखी तो बावधनकर ने उसे ललकारा तो वो अचानक गाडी स्टार्ट कर यूटर्न लेने लगा.लेकिन कार डिवाइडर से टकरा गई.बावधनकर और उनकी टीम ने कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे अबू इस्माइल पर दनादन गोलियां चलाकर ढेर कर दिया. कसाब ने आत्मसमर्पण करने का नाटक किया.लेकिन कांस्टेबल तुकाराम ओंबले जैसे ही कसाब की ओर बढ़े तो उसने एके-47 से गोली चला दी.दूसरे कांस्टेबल ने कसाब को सड़क पर पटक दिया और पिटाई के बाद उसकी एके 47 छूट गई.
असिस्टेंट मैनेजर ने बचाई 60 लोगों की जान
मुंबई हमले के दिन 24 साल की महिला मल्लिका जगाद ने साहस दिखाते हुए 60 से ज्यादा लोगों की जान ताज महल पैलेस होटल में बचाई थी. होटल के चप्पे चप्पे से वाकिफ मल्लिका ने तमाम वीआईपी मेहमानों को सुरक्षित जगहों पर छिपाया.वो ताज होटल में असिस्टेंट बैंक्वेट मैनेजर के तौर पर काम कर रही थीं. हमले के वक्त वो बैंक्वेट हॉल में एक इवेंट की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. उन्होंने वीआईपी गेस्ट को सुरक्षित कमरों में बंदकर लाइटें बंद कर दीं, इससे आतंकी भटक गए.
पडसलगिकर मुंबई पुलिस सीनियर अफसर
महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख दत्ता पडसलगिकर मुंबई पुलिस सीनियर अफसर थे. उन्होंने मुंबई पुलिस को अलर्ट किया था कि 26/11 हमले के पीछे पाकिस्तान है. कसाब के आइडेंटिटी कार्ड से लेकर उसकी पाकिस्तान पहचान तक को उन्होंने जोड़ा. पडसलगिकर 26/11 हमले के वक्त खुफिया एजेंसी में थे.














