मुंबई के आरे में मेट्रो शेड के लिए पेड़ काटने के मामले में अनुमति भी, जुर्माना भी...

हालांकि, CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए 177 पेड़ काटने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो पब्लिक प्रोजेक्ट को रोकना नहीं चाहता है. 185 पेड़ काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के बजाए ट्री अथॉरिटी जाने पर अदालत नाराज भी हुई और कहा कि MMRCL ने  सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से आगे निकलने का प्रयास किया है.

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मुंबई के आरे में चल रहा है मेट्रो का काम.
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के मुंबई में आरे इलाके में मेट्रो के लिए  पेड़ काटने के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने MMRCL यानी मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने MMRCL पर ज्यादा पेड़ काटने की मांग करने पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया. हालांकि, CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए 177 पेड़ काटने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो पब्लिक प्रोजेक्ट को रोकना नहीं चाहता है. 185 पेड़ काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के बजाए ट्री अथॉरिटी जाने पर अदालत नाराज भी हुई और कहा कि MMRCL ने  सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से आगे निकलने का प्रयास किया है.

मामले की सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सख्त लहजे में कहा कि जब हमने आपको 84 पेड़ काटने की इजाजत दे दी तो आप 185 पेड़ काटने के लिए ट्री अथॉरिटी के पास क्यों गए. ये MMRCL यानी मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से कोर्ट की अवमानना है. उनको कोर्ट के सामने पेश होना होगा क्योंकि उनका ये तौर तरीका सही नहीं है. आपको जब जरूरत हुई हमने आपको इजाजत दी, लेकिन 2 जनवरी को आप 185 और  पेड़ काटने के लिए सीधे ट्री अथॉरिटी के पास चले गए. हमने 84 पेड़ काटने की इजाजत दी थी. आपको और काटने थे तो उचित वजह और उपाय सुझाते हुए हमारे पास ही आना था न कि ट्री अथॉरिटी के पास जाना चाहिए था. आपने सुप्रीम कोर्ट को सवारी का साधन मान लिया है, आप कोर्ट की अनदेखी वहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि  MMRCL के उन जिम्मेदार अधिकारियों को हम जेल भेज सकते हैं, ये गंभीर अवमानना है.

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप 177 पेड़ काटना चाहते हैं. इनमे से कितने ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं?  याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 53 पेड़ को ट्रांसप्लांट करने और 1533 को नए पौधे के जाती फिर से रोपने की योजना है.

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मेट्रो की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने माना कि इस मामले में ट्री अथॉरिटी के पास नहीं जाना चाहिए था.

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गौरतलब है कि 24 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने MMRCL यानी मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड को निर्देश दिया था कि वह मुंबई के आरे कॉलोनी में कोई पेड़ न काटे जाने संबंधित जो अंडरटेकिंग दी है, उसका सख्ती से पालन हो. शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर इस मामले में कोई भी उल्लंघन हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के वकीलों ने इस मामले में दस्तावेज पेश करने के लिए समय की मांग की थी.
साथ ही MMRCL ने कहा था कि कोई पेड़ नहीं काटा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया था और कहा था कि इसका पालन सख्ती से हो. सुप्रीम कोर्ट में मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 5 अगस्त 2022 को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में जब से मुंबई के आरे इलाके में पेड़ कटाई पर रोक लगाई, उसके बाद से इलाके में कोई पेड़ नहीं काटा गया है.

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