कोरोना काल में MIS-C से बच्चों की असली जंग, दूसरी लहर में इस बीमारी के चलते ICU में गए कई मासूम

मुंबई (Mumbai Covid-19) में 51 फीसदी बच्चों को कोविड हुआ, पता भी नहीं चला. बीएमसी के सीरो सर्वे में 51 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी मिली है.

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MIS-C कोविड से ठीक होने के बाद होता है. (फाइल फोटो)
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मुंबई के 51% बच्चों में मिली एंटीबॉडी
ज्यादातर बच्चों में MIS-C से तकलीफ
हृदय, गुर्दे और लीवर को प्रभावित करती है बीमारी
मुंबई:

मुंबई (Mumbai Covid-19) में 51 फीसदी बच्चों को कोविड हुआ, पता भी नहीं चला. बीएमसी के सीरो सर्वे में 51 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी मिली है. एक्सपर्ट्स की चिंता बच्चों में कोविड के बाद होने वाली बीमारी MIS-C को लेकर है. दूसरी लहर में ICU जाने वाले ज्यादातर गंभीर बच्चे ‘मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन' यानी MIS-C से ही ग्रसित थे. यह बीमारी कोरोना से ठीक होने के दो से 12 हफ्ते बाद होती है, पर जब बच्चों में कोविड के लक्षण ही न दिखे तो पोस्ट कोविड वाली इस बीमारी से उन्हें जल्द कैसे बचाया जाए.

मुंबई में 9 एकड़ की जमीन पर एक और कोविड जंबो सेंटर बनकर तैयार है. बच्चों के लिए चिन्ताएं सबसे बड़ी हैं, इसलिए यह पूरा ICU वॉर्ड बच्चों के लिए बना है. इन चिंताओं के बीच बीएमसी ने बच्चों पर सीरो सर्वे किया है. 1 अप्रैल से 15 जून के बीच मुंबई के 24 वार्डों की पैथोलॉजी लैब्स से 18 साल से कम उम्र के बच्चों के कुल 2,176 ब्लड सैंपल्स इकट्ठे किए गए थे. इनमें से 51.18 फीसदी बच्चों में कोविड की एंटीबॉडी मौजूद दिखी.

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सीरो पॉजिटिविटी 10-14 साल की उम्र वालों में सबसे अधिक है, जो कि 53.43 फीसदी है. सबसे ज्यादा 10 से 14 साल की उम्र के करीब 53.43 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई. 1 से 4 साल उम्र के बच्चों में 51.04 प्रतिशत, 5 से 9 साल के बच्चों में 47.33 प्रतिशत और 15 से 18 साल के बच्चों में 51.39 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई है.

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यह माना जा रहा है कि जिन बच्चों में एंटीबॉडी विकसित हुई है, आगे उन्हें कोरोना होने का खतरा कम रहेगा. अधिकांश बच्चे कोविड से फौरन ठीक हो जाते हैं. ज्यादातर में लक्षण भी नहीं दिखते, पर बड़ी चिंता कोविड से ठीक होने के बाद की है. दूसरी लहर में ज्यादातर बच्चे MIS-C की तकलीफ के साथ अस्पताल पहुंचे. वे कोविड नेगेटिव थे लेकिन एंटीबॉडी पॉजिटिव मिली.

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यह बीमारी कोविड से ठीक होने के करीब 2-12 हफ्ते बाद दिखती है, जो बच्चों के हृदय, गुर्दे और लीवर को भी प्रभावित करती है. इसी तकलीफ के कारण कई मासूम ICU तक पहुंचे.

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जसलोक अस्पताल के डॉक्टर फजल नबी ने कहा, 'कोविड इंफेक्शन तो छूकर बच्चों को निकल जाता है लेकिन इससे ठीक होने के दो से 12 हफ्तों के बाद MISC बच्चों को होता है. कोविड की तुलना में MISC ज्यादा खतरनाक है. ये बच्चों को ज्यादा तकलीफ देता है. इस बीमारी में बच्चों का हर ऑर्गन इन्वोल्व होता है. पहली-दूसरी दोनों लहर में हमने MISC देखा है. मैंने कुल 22 केस देखे हैं.'

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फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर जेसल शेठ ने इस बारे में कहा, 'MISC से बच्चों को ज्यादा खतरा है क्योंकि दो से ज्यादा ऑर्गन इन्वॉल्व्ड होते हैं इस बीमारी में. दूसरी लहर में हमने देखा कि MISC में बच्चों के हार्ट पर काफी असर पड़ा. हार्ट में सूजन आई, उसकी वजह से पम्पिंग एक्शन कम हुआ. ऐसे में बच्चों को ICU में रखकर स्टेरॉइड जैसे हेवी ट्रीटमेंट देने की जरूरत पड़ी है.'

इस बीमारी की जल्दी पहचान, बचाव का बड़ा जरिया है, पर उलझन यह है कि जिन बच्चों में कोविड के लक्षण ही न दिखें तो इन्हें पोस्ट कोविड वाली इस तकलीफ से पहले से ही कैसे बचाकर रखा जाए. बीएमसी का सीरो सर्वे भी बताता है कि 51 फीसदी बच्चों को कोविड हुआ और पता नहीं चला, बड़ी जंग कोविड से बाद की है.

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